भुवनेश्वर। एक तरफ देश में डॉक्टर और फ्रंटलाइन वर्कर्स कोरोना महामारी(Corona Pandemic) से जूझ रहे हैं तो दूसरी ओर अस्पतालों में बड़े लोगों और राजनेताओं को मिलने वाले वीआईपी कल्चर(VIP Culture) भी अब डॉक्टरों(Doctors) को परेशान करने लगा है। एम्स भुवनेश्वर (AIIMS Bhubaneswar)के रेजिडेंट डॉक्टरों ने वीआईपी कल्चर(VIP Culture) से परेशान होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को चिट्ठी लिखी है।
पीएम मोदी को चिट्ठी में डॉक्टरों ने लिखा कि एम्स जैसे सरकारी अस्पतालों में नौकरशाहों, राजनेताओं और राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं को इलाज में मिलने वाली तरजीह को खत्म किया जाए। चिट्ठी में लिखा गया कि सभी लाइफ सपोर्ट, आईसीयू सेवाओं को वीआईपी लोगों के लिए बुक किया जा रहा है।
डॉक्टरों ने आगे लिखा कि यहां तक कि कई लोगों को इसकी जरूरत भी नहीं है लेकिन, उन्हें आइसोलेशन में रखकर काम चलाया जा सकता है। चिट्ठी में डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि अस्पताल में वीआईपी काउंटर खोले जाने की बातें हो रही हैं। इसके अलावा ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जहां राजनेताओं ने डॉक्टरों की ड्यूटी खत्म होने के बाद भी उन्हें अपने घर बुलाया। चिट्ठी में डॉक्टरों ने लिखा कि ऐसी सब हरकतों से डॉक्टरों की मानसिक पीड़ा बढ़ती है और कार्यस्थल पर उनकी क्षमता पर भी इसका खासा असर पड़ता है। चिट्ठी में कहा गया कि महामारी की शुरुआत से ही सबसे आगे डॉक्टर हमेशा से खड़े थे और अपना जीवन जोखिम में डाले हुए थे। डॉक्टरों ने आगे कहा कि जब वो या उनके परिवार का कोई सदस्य कोरोना संक्रमित हो जाता है तो उन्हें बदलें में लंबी कतारें और अस्पतालों में पहले से भरे बिस्तर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए अलग से कोई काउंटर नहीं होता है। यही नहीं डॉक्टरों ने आगे कहा कि मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने इस बारे में कोई संज्ञान नहीं लिया। अस्पतालों में वीआईपी कल्चर और नेताओं, अफसरों को विशेष सुविधाएं दिए जाने का विरोध करते हुए डॉक्टरों ने कहा कि यह फ्रंटलाइन वर्कर्स का अपमान है।