ऋषिकेश (Rishikesh)। शुगर के मरीजों (Sugar patients) को अब दवाई (Medicines) और नियमित इंसुलिन के इंजेक्शन (Regular insulin injections.) से निजात मिलेगी। एम्स (AIIMS Rishikesh) के चिकित्सकों ने एनकैप्सुलेटेड ह्यूमन बीटा सेल तकनीक (Encapsulated Human Beta Cell Technology) से बीटा सेल का नैनो कैप्सूल तैयार (beta cell capsule) किया गया है, जिसे शरीर में प्रत्यारोपित किया जाएगा। इससे लंबे समय तक शुगर कंट्रोल रहेगी।
मरीजों को शुगर नियंत्रण के लिए हर दिन नियमित दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। जब दवाइयां भी काम करना बंद कर देती हैं तो मरीजों को बाहर से इंसुलिन के लिए प्रतिदिन टीका लगाना पड़ता है। एम्स जनरल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत ने अपने शोध के आधार पर दावा किया कि अब बिना दवा और इंसुलिन इंजेक्शन ही लंबे समय तक शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है।
बताया, उन्होंने एनकैप्सुलेटेड ह्यूमन बीटा सेल तकनीक से बीटा सेल का नैनो कैप्सूल तैयार किया है। कैप्सूल को शरीर में प्रत्यारोपित कर लंबे समय तक शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान यह कारगर साबित हुआ है। अभी इस कैप्सूल का पशुओं पर प्रयोग चल रहा है। प्रो. रविकांत ने उक्त शोध के पेटेंट के लिए आवेदन भी किया है।
कैसे शुगर को करती है प्रभावित
बीटा सेल अग्नाशय (पैंक्रियाज) में होती हैं, जो इंसुलिन का उत्पादन करती हैं। इंसुलिन शरीर में कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म का कार्य करती है, जिससे शुगर लेवल सामान्य रहता है। टाइप वन के शुगर में बीटा सेल इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती, जिससे मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है। वहीं टाइप टू शुगर में शुरुआती चरण में बीटा सेल अत्यधिक कार्य करती हैं। शरीर में मौजूद इंसुलिन प्रतिरोध को ज्यादा इंसुलिन की जरूरत होती है, लेकिन बाद में बीटा सेल की हानि होती है और शुगर लेवल बढ़ जाता है। एक समय ऐसा आता है कि दवाइयां काम करना बंद कर देती हैं। तब मरीज को बाहर से इंसुलिन देनी पड़ती है।
क्या है बीटा सेल तकनीक
चिकित्सक एक स्वस्थ व्यक्ति के अग्नाशय से बीटा सेल को निकालते हैं। इससे कई अन्य बीटा सेल का निर्माण करते हैं। प्रयोगशाला में निर्मित इन बीटा सेल को नैनो कैप्सूल के अंदर बंद कर दिया जाता है। नैनो कैप्सूल में बीटा सेल के लिए जरूरी पोषक जैसे आक्सीजन आदि भी मौजूद होते हैं। जिससे बीटा सेल इंसुलिन का निर्माण करती हैं। इस नैनो कैप्सूल को पेट के उस हिस्से पर प्रत्यारोपित किया जाता है, जहां इंसुलिन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। बीटा नैनो कैप्सूल से उत्पादित इंसुलिन मरीज के रक्त में पहुंचता है और शुगर को नियंत्रित करता है।
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