नई दिल्ली । कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को विज्ञान भवन में हुई बातचीत में आखिर सकारात्मक रुख देखने को मिला है। बैठक में किसानों की चार में से दो मांगों पर सरकार सहमत हो गई है। हालांकि किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी शेष दो मांगें नहीं मानी जाती, उनका शान्तिपूर्ण धरना जारी रहेगा। किसान संगठनों और सरकार के बीच अब अगले दौर की बातचीत नए साल में चार तारीख को होगी।
बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा है कि सरकार बातचीत के जरिए मामलों को सुलझाना चाहती है, यह अच्छी बात है। किसान तो बातचीत के लिए पहले से तैयार हैं, वो वार्ता में अड़चन पैदा नहीं कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारी प्रदर्शन जारी रहेगा और जब तक सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मुख्य मांग को नहीं मानती बॉर्डर ऐसे ही बंद रहेंगे।
वहीं, एक अन्य किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि चार में से दो मुद्दों पर सहमति बनी है। यह अच्छी शुरुआत है। आज की बातचीत में सरकार का रवैया भी सकारात्मक रहा। उम्मीद है कि अगली बैठक में सरकार किसानों की अन्य समस्याओं पर भी ध्यान देगी। बैठक में किसान नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग की।
किसानों के प्रदर्शन से आम जनता को हो रही दिक्कत पर किसान नेता ने दुख भी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमें भी यह अच्छा नहीं लग रहा लेकिन यह मजबूरी है। सरकार अगर समय पर हमारी सुनती और बातों को समझती तो ऐसी नौबत नहीं आती। आखिर किसान अपनी बात कहां रखें, इसीलिए इस प्रकार विकल्प चुना गया।
इससे पहले, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बातचीत जारी रहेगी तथा इस संबंध में सरकार लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है। सरकार किसानों के प्रति पूरी ईमानदारी और संवेदना रखती है। वहीं, कृषि मंत्री ने किसानों की मांगों के संदर्भ में व्यापक चर्चा के लिए सरकार एक समिति बनाने का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने यह भी कहा कि किसी कानून को बनाने और वापस लेने की एक लंबी प्रक्रिया है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का आंदोलन आज 35वें दिन में प्रवेश कर चुका है। शीत लहर और गिरते तापमान के बीच भी किसान डटे हुए हैं। सिंधु, टिकरी, गाजीपुर, चिल्ला बॉर्डर और बुराड़ी निरंकारी ग्राउंड समेत जहां भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां उनके समर्थकों व अन्य किसानों की तादाद दिनोंदिन बढ़ रही है।
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