उज्जैन। कहते हैं समय किसी का नहीं बदलता लेकिन अगर आस्था और विश्वास हो तो समय को भी बदला जा सकता है। उज्जैन जिले से 50 किलोमीटर दूर शिप्रा नदी के तट पर स्थित एक चमत्कारिक मंदिर है जहां पर वर्षों से दूर-दूर से आ रहे श्रद्धालु अपने अपने बुरे वक्त को बदलने के लिए मंदिर के बड़ के पेड़ पर दीवार घड़ी बांध देते हैं और श्रद्धालुओं का समय बदलना शुरू हो जाता है। यह बात मंदिर में पहुंचे श्रद्धालु और यहां निवास करने वाले आसपास के ग्रामीण स्वयं बताते हैं।
घड़ी का काम केवल समय बताना ही नहीं है, बल्कि यदि दिवार घड़ी इस मंदिर में प्राचीन बड़ के पेड़ पर बांध दी जाए तो घड़ी आपका सही वक्त भी शुरू कर देती है । आज गंगा दशमी के अवसर पर इस प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर पर यज्ञ एवं विशाल महा प्रसादी भंडारे का आयोजन श्रद्धालुओं द्वारा कराया जा रहा है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचें। उज्जैन जिले में उन्हेल से महिदपर मार्ग गुराडिया सांगा के पास शिप्रा नदी के तट पर सगस जी महाराज का मंदिर है जो घड़ी वाले बाबा के नाम से भी मशहूर है। शिप्रा नदी के नजदीक स्थित इस गांव की प्रसिद्धि यहां के इस मंदिर की वजह से दूर-दूर तक मशहूर है। इस मंदिर पर अपनी मन्नत लेकर घड़ी बांधने के लिए मध्य प्रदेश सहित राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के अलावा कई प्रदेश से लोग आते हैं। यहां स्थित सगस भैरव का मंदिर न सिर्फ इलाके के हजारों लोगों की आस्था का केंद्र है श्रद्धालु इस मंदिर पर उम्मीद के साथ आते हैं और मानते हैं कि यहां पर घड़ी चढ़ाने से उनका सही वक्त शुरू हो जाता है।
मंदिर के पेड़ पर दिवार घड़ी लटकाने से श्रद्धालुओं की मान्यता किस तरह और कैसे पूर्ण होती है और उसकी शुरुआत कब से हुई इसकी जानकारी तो किसी के पास नहीं है लेकिन कई भक्तों की यह मान्यता है कि उनका वक्त यहीं से बदला है। और जीवन में अच्छे कार्य की शुरुआत हुई है । दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर पर मौजूद प्राचीन बड़ के पेड़ पर अपनी मन्नत मांग कर घड़ी लटका देते हैं और वह घड़ी चलती रहती है। मंदिर पास के गांव गुराडिया के रहने वाले करणसिंह आंजना का कहना है कि वे पिछले कई सालों से लगातार मंदिर में आ रहे हैं। यहां पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु घड़ी चढ़ाने के लिए आते हैं, जिनकी मन्नत पूरी होती है, वे श्रद्धालु भी घड़ी चढ़ाते हैं, जबकि जो मन्नत लेकर आता है वह भी घड़ी चढ़ाकर जाता है इस तरह मंदिर में अभी तक लोग इतनी घड़ी चढ़ा चुके हैं कि मंदिर के पेड़ पर अब घड़ी बांधने की जगह तक नहीं है। इस मंदिर पर पेड़ से लगातार घडिय़ों टिक-टिक की आवाज आती रहती है। जब लोग इस रास्ते से गुजरते हैं तो उन्हें दिन रात टिक-टिक की आवाज सुनाई देती है। श्रद्धालुओं के अनुसार कई वर्षों से मंदिर में घडिय़ां चढ़ाई जा रही हैं उन्होंने कहा कि इसके पीछे मान्यता से ज्यादा श्रद्धालुओं का विश्वास है। इस मंदिर पर पेड़ पर लटकी हजारों घड़ीयां हमेशा इसी तरह लटकी रहती हैं। सुनसान और सुरक्षा के इंतजाम नहीं होने के बावजूद इस मंदिर से कभी घड़ी चोरी नहीं होती है। श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने के बाद भी इस मंदिर पर पहुंचते हैं तो उन्हें अपनी घड़ी सही सलामत मिलती है । आज गंगा दशमी के अवसर पर इस मंदिर पर यज्ञ एवं भव्य भंडारे का आयोजन ग्रामीणों द्वारा कराया जा रहा है जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे।
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