इंदौर। बायपास (Bypass) की चर्चित योजनाओं (Popular Schemes) में बीते दो दशक से जमीनी खेल (Ground Sports) चल रहे हैं और अब लैंड पुलिंग (land pulling) एक्ट के तहत जो नई योजना टीपीएस-6 (TPS) घोषित की गई, उसमें एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की जमीनें शासन ने सुनियोजित तरीके से छुड़वा ली, क्योंकि आठ माह तक प्राधिकरण को योजना लागू करने की अनुमति नहीं दी और नियम के मुताबिक योजना को लेप्स करवा दिया। अब जो जमीनें छोड़ी जा रही है, उसमें एक और बड़ा फर्जीवाड़ा (Fraud) सामने आया। शहर के चर्चित भूमाफियाओं (Land Mafia) ने योजना में शामिल जमीनें अपने कब्जे वाली गृह निर्माण संस्थाओं के नामे करवा दी और कुछ जेबी संस्थाएं भी कागजों पर बना लीं। ऐसी एक दर्जन से अधिक संस्थाओं की जमीनें भी छूट रही हंै, जिन पर भगोड़े भूमाफिया दीपक मद्दे से लेकर अन्य का कब्जा है। करतार गृह निर्माण, पाश्र्वनाथ, पृथ्वी, संतोषी माता से लेकर मंगल गृह निर्माण और अन्य संस्थाओं के नाम पर ये जमीनें कबाड़ी गई।
मजे की बात यह है कि एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान(Shivrajsinghchouchan) माफियाओं (Mafia) को जमीन (Property)में 10 फीट गाडऩे का दावा करते हुए जोर-शोर से भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ पुलिस-प्रशासन (Police Administration) और सहकारिता विभाग के जरिए मुहिम चलाते हैं। हालांकि कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Scond Wave) के चलते यह मुहिम ठंडी भी हो गई, वहीं दूसरी तरफ भोपाल में बैठे जिम्मेदार इन भूमाफियाओं के मददगार साबित होते रहे हैं। इतना ही नहीं, जिन भूमाफियाओं के खिलाफ शासन-प्रशासन (Government administration) ने मुहिम चला रखी है, उनमें से कई प्राधिकरण की छूट रही जमीनों को हड़पकर बैठे हैं। अग्निबाण ने टीपीएस-6 में शामिल 150 एकड़ से अधिक जमीनों को छोडऩे का मामला उजागर किया। ये जमीनें एक हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की हैं। पश्चिमी बायपास की इनमें से कई जमीनें रसूखदारों के कब्जे में हैं और गृह निर्माण संस्थाओं में भी इन जमीनों को शामिल कर लिया गया। करतार गृह निर्माण के साथ-साथ पृथ्वी गृह निर्माण, संतोषी माता गृह निर्माण, मंगल गृह निर्माण, पाश्र्वनाथ गृह निर्माण, जिसकी जमीन संघवी परिवार के कब्जे में है, के अलावा जनसेवा गृह निर्माण, अमित-प्रिया गृह निर्माण, दीपज्योति, हिमालया गृह निर्माण, जो कि संदीप नागर और संजीव लुंकड़ के पास है, के साथ ही सुमंगला गृह निर्माण, श्याम बिहारी गृह निर्माण, सोनाली गृह निर्माण जैसी संस्थाओं के नामे योजना में शामिल जमीनों को होशियारी से कर लिया और अब ये जमीनें छूट जाएंगी। इनमें कई संस्थाएंं तो जेबी हैं, यानी उसमें स्टाम्प ड्यूटी की चोरी तो की ही गई, वहीं सहकारिता विभाग को भी हथियार बनाया गया। पूर्व में बायपास पर तीन योजनाएं 164, 168 और 175 भी इसी तरह लेप्स हो चुकी है, जबकि धारा 50 (4) का जो आदेश योजना 175 का प्राधिकरण ने पारित किया, उसमें ही इन संस्थाओं के साथ-साथ उन जमीनों को छोडऩे का निर्णय नहीं लिया था, जो अब शासन आदेश पर प्राधिकरण बोर्ड छोड़ रहा है। पाश्र्वनाथ गृह निर्माण की खसरा नम्बर 64 और 66/2 की 2.785 हेक्टेयर जमीन संघवी परिवार के पास है, जिनके पास शासन-प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसी तरह भगोड़े भूमाफिया दीपक मद्दे ने करतार सहित अन्य संस्थाओं के नाम पर जमीन हड़प रखी है। इसी तरह भिचौली हब्सी के खसरा नं. 63/1/1 और 63/2 व 63/1/3 की 0.813 हेक्टेयर जमीन भी पूर्व की योजना में शामिल रखी गई, जिस पर विशाल कोठी एक रसूखदार की बन रही है, उसे भी अब छोड़ा जा रहा है।
समता कंस्ट्रक्शन ने कबाड़ी करतार गृह निर्माण की जमीन
जिस करतार गृह निर्माण की जांच सहकारिता विभाग ने वर्षों पहले शुरू की थी, उसकी भिचौलीहब्सी स्थित जमीन चार एकड़ जमीन संघवी, मद्दे की समता कंस्ट्रक्शन कम्पनी के नाम पर हो गई। संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष नटवर नागर ने 01.10.2007 को समता कंस्ट्रक्शन के नाम जमीन करवा दी और डायरेक्टर के रूप में कमलेश वेद ने हस्ताक्षर किए, जबकि वे उस वक्त डायरेक्टर भी नहीं थे। 70 लाख 25 हजार में समता कंस्ट्रक्शन ने जमीन हासिल की और दो वर्षों तक भुगतान के लिए चैक बैंकों में प्रस्तुत भी नहीं किए। मद्दे की पत्नी समता जैन के नाम पर बनी इस कंस्ट्रक्शन कम्पनी ने भिचौलीहब्सी के खसरा नम्बर 21, 22, 23, 24 और 2/1 की करतार गृह निर्माण की जमीन हड़प ली और सदस्यों को भूखंडों नहीं मिले और अब इस जमीन के साथ अन्य जमीनें प्राधिकरण बोर्ड छोड़ रहा है।
सुनवाई के दौरान धारा 53 में छूटती है मंजूरी प्राप्त जमीनें
इंदौर विकास प्राधिकरण अपनी पूर्व की योजनाओं के प्रारूप प्रकाशन के बाद प्राप्त सुझावों-आपत्तियों की सुनवाई कर धारा 53 में छोडऩे का निर्णय लेता है। अगर जमीन मालिक डायवर्शन और नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर अभिन्यास प्रस्तुत करता है। जो जमीनें अभी शासन निर्देश पर प्राधिकरण द्वारा टीपीएस-6 में छोड़ी जा रही हैं, कायदे से उसकी सुनवाई की जाना थी और फिर धारा 50 (3) में मंजूरी प्राप्त जमीनों को सशर्त छोड़ा जाता है। मगर इस प्रक्रिया के बिना ही सीधे इन सभी जमीनों को छोड़ा जा रहा है, जो पूर्व की तीनों योजनाओं में नहीं छोड़ी गई।
62 करोड़ के मुनाफे के साथ लाभदायक बताई थी योजना
लैंड पुलिंग एक्ट के तहत प्रचलित योजनाओं को नए सिरे से घोषित किया गया, जिसमें पूर्व में 5 योजनाओं को शासन द्वारा मंजूरी मिली, लेकिन टीपीएस-6 व 7 की मंजूरी रोक ली। बाद में टीपीएस-6 से 150 एकड़ से अधिक जमीन कम करवा दी, जबकि प्राधिकरण बोर्ड ने टीपीएस-6 योजना को लागू करते हुए पूर्व में इसे वाइवल, यानी लाभदायक बताया और 62 करोड़ रुपए के मुनाफे का चार्ट भी प्रस्तुत किया गया, लेकिन अब यह मुनाफा घटकर 49 करोड़ आंका गया है, क्योंकि प्राधिकरण को भी छोड़ी गई जमीन के चलते उतने विकसित भूखंड विक्रय योग्य नहीं मिलेंगे।
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