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    अग्निबाण ब्रेकिंग… 518 सदस्यों में से 183 अपात्र घोषित, एक ही परिवार, पति-पत्नी सहित प्रभारी द्वारा की गई रजिस्ट्रियां गलत साबित, अब कोर्ट-कचहरी अपात्र घोषित सदस्य करेंगे

  • August 30, 2024

    • 378 दावे-आपत्तियों का निराकरण करते हुए अयोध्यापुरी की अंतिम वरीयता सूची जारी

    इंदौर, राजेश ज्वेल। देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था (Devi Ahilya Shramik Workers Cooperative Society) की बहुचर्चित कॉलोनी अयोध्यापुरी की अंतिम वरीयता सूची अंतत: कल रात जारी कर दी गई। हाईकोर्ट निर्देश पर कलेक्टर आशीष सिंह ने पात्र-अपात्रों की यह सूची तैयार करने के लिए एक जांच दल का गठन भी किया, जिसमें 378 दावे-आपत्तियों का निराकरण करते हुए 6 तरह की सूची तैयार की है। 518 सदस्यों में से 179 सदस्य अपात्र घोषित किए गए हैं। अब इनके सामने धारा 64 के तहत अपील दायर करने और कोर्ट-कचहरी का रास्ता बचा है। एक ही परिवार द्वारा हड़पे कई भूखंडों, पति-पत्नी दोनों द्वारा लिए गए भूखंडों के साथ प्रभारी द्वारा की गई 48 रजिस्ट्रियों को भी अपात्र घोषित किया गया है, वहीं रजिस्ट्रीधारक, पात्र रसीदधारी और सत्यापन पश्चात पात्रता योग्य सदस्यों की सूची के अलावा उन रसीदधारकों की सूची भी तैयार की गई है जो भूखंड की पात्रता रखते हैं। उसके अलावा अपात्र रजिस्ट्रीधारी और अपात्र रसीदधारी सदस्यों की सूची भी इस विस्तृत जांच रिपोर्ट में संलग्न की गई है।

    जमीनी जादूगरों ने देवी अहिल्या संस्था पर भी कब्जा कर जमीनों और भूखंडों की बंदरबांट जमकर की। 2008-09 में जब पहली बार गृह निर्माण संस्थाओं के फर्जीवाड़े और भूमाफियाओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो सबसे पहली एफआईआर देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था की कॉलोनी अयोध्यापुरी में हुए फर्जीवाड़े को लेकर ही प्रशासन ने दर्ज करवाई थी। उसके बाद जब तीसरी बार अभियान चला तब तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह ने अयोध्यापुरी में भूखंडों के कब्जे दिलवाए और जिन रसूखदारों ने जमीनें हड़प रखी थी उनमें से अधिकांश से सरेंडर भी करवाई। मगर दूसरी तरफ पात्र-अपात्र सदस्यों का विवाद चलता रहा। दरअसल, पिछले दरवाजे से कई लोग नए सदस्य बन गए, तो कुछ ने रसीदें खरीदकर अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए रजिस्ट्रियां भी करवा ली। तत्कालीन कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने भी अयोध्यापुरी की वरीयता सूची तैयार करवाने की पहल की और एक जांच दल का गठन भी किया गया, जिसमें प्रभारी डिप्टी कलेक्टर निधि वर्मा, सीमा कनेश मौर्य, जीएस परिहार, आरएस ठाकुर और केएल कोरी शामिल रहे।


    उपायुक्त सहकारिता कार्यालय से संस्था अध्यक्ष विमल अजमेरा ने जो सूची प्राप्त की उसके आधार पर 378 दावे-आपत्तियों का परीक्षण किया गया और फिर सभी 518 सदस्यों को 6 भागों में वर्गीकृत करते हुए ये सूचियां जारी की गईं। कल रात वरीयता सूची को अंतिम रूप देते हुए इसका प्रकाशन किया गया, जिसमें 103 रजिस्ट्रीधारी सदस्य अपात्र और 76 रसीदधारी सदस्य भी अपात्र यानी कुल 179 अपात्र रहे। इसी तरह सूची-1 में पात्र रजिस्ट्रीधारी सदस्यों की संख्या 92, सूची-2 में पात्र रसीदधारी सदस्यों की संख्या 15, सूची-3 में पात्रता योग्य रजिस्ट्रीधारी सदस्यों की संख्या 118, सूची-4 में पात्रता योग्य रसीदधारी सदस्यों की संख्या 114 बताई गई, जबकि सूची क्रमांक 5 और 6 में अपात्रों के नाम संलग्न किए गए हैं। संस्था अध्यक्ष अजमेरा पर भी आरोप लगे कि उन्होंने आधा दर्जन भूखंड परिवार के नाम पर हड़प लिए, जबकि उनको इस वरीयता सूची में दो भूखंडों की पात्रता दी गई। इसी तरह पति-पत्नी के नाम पर भूखंड आबंटित करवाए। उनको भी सिर्र्फ 1 भूखंड की पात्रता दी गई है, वहीं प्रभारी द्वारा जो 48 रजिस्ट्रियां की गई थी उन्हें भी अपात्रों की सूची में शामिल किया गया है। अब जो अपात्र घोषित किए गए हैं उनके सामने कोर्ट-कचहरी और धारा 64 में अपील करने का विकल्प बचा है, वहीं संघर्ष समिति से जुड़े गौरीशंकर लाखोटिया सहित अन्य का कहना है कि कम से कम लम्बे इंतजार के बाद अंतिम वरीयता सूची तो जारी हुई। इससे काफी कुछ धुंध छंट गई और अपात्र घोषित किए गए वे सदस्य जो भूखंड से वंचित रह गए हैं उनको भूखंडों का कब्जा मिल सकेगा।

    तीन हजार करोड़ की जमीन वापस भी मिल चुकी है संस्था को
    भू-माफियाओं के चंगुल से देवी अहिल्या संस्था की जमीनें तो छुड़वाई गई, वहीं कई रजिस्ट्रियों को प्रशासन ने कोर्ट से शून्य भी करवाया। पिछले दिनों ही अयोध्यापुरी और श्री महालक्ष्मी नगर की ढाई लाख स्क्वेयर फीट से अधिक जमीनों की रजिस्ट्रियां शून्य घोषित हुई, जिनका बाजार मूल्य 3 हजार करोड़ से कम नहीं है। कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि अयोध्यापुरी की वरीयता सूची जारी होने पर पात्र सदस्यों को भूखंडों को कब्जा दिलवाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और अपात्रों की रजिस्ट्रियां शून्य करवाएंगे। वहीं जिन रसूखदारों के पास अब भी संस्था की जमीनें है उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। अभी जनसुनवाई में भी कई संस्थाओं के पीडि़त शिकायतें लेकर पहुंचते हैं। ऐसी संस्थाओं के पदाधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए पीडि़तों को भूखंडों का आबंटन सहकारिता विभाग के माध्यम से करवाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अयोध्यापुरी में ही अभी सिम्प्लैक्स इन्वेस्टमेंट की 4 एकड़ जमीन सरेंडर नहीं हो सकी है। इसी जमीन को लेकर संघवी परिवार के खिलाफ प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसमें जेल में बंद दीपक मद्दे का नाम भी शामिल है।

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