– सुरेन्द्र किशोरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली दूरदर्शी सोच की भारत सरकार द्वारा शुरू अग्निपथ योजना के नाम पर देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है। ट्रेनें जलाई जा रही है, बस और सरकारी संपत्ति को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा रहा है लेकिन लोग इस योजना की सच्चाई जानने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, तमाम विपक्ष छात्रों-युवाओं को बरगला रहे हैं कि मोदी द्वारा लाया गया अग्निपथ योजना बर्बाद करने वाला है। जबकि जहां से सबके सोचने की शक्ति समाप्त होती है, वहां से वैश्विक नेता नरेन्द्र मोदी की सोच शुरू होती है। विकसित लोकतांत्रिक देशों में इसी तरह चार साल की सैन्य प्रशिक्षण एवं सेवा लागू है। ऐसा नहीं कि यह सेवा केवल भारत मे शुरू हो रही है, अपने देश की मजबूती और विकास के प्रति चिंतित हर देश मे ऐसी योजना लागू है। भारत में योजना स्वतंत्रता के तुरंत बाद से होनी चाहिए थी, एनसीसी एवं एनएसएस आदि इसी योजना के रूप में शुरू हुआ, लेकिन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सका।
अब यह बहुउद्देशीय योजना शुरू कर सरकार देशहित में युवा शक्ति का समुचित उपयोग करना चाह रही है। इसके पीछे का मूल उद्देश्य यह है कि हर युवाओं को देश के लिए सैन्य प्रशिक्षण देना, राष्ट्र के प्रति भक्ति पैदा करना है, ताकि विपत्ति में देश की सुरक्षा में केवल सेना ही नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक काम आ सकें। जैसे यूक्रेन में अभी काम आ रहा है। इसका समर्थन या विरोध करने के पहले अग्निपथ योजना को समझना जरूरी है। हर वर्ष मैट्रिक पास युवक जो सेना में भर्ती होने या तुरंत नौकरी पाने को इच्छुक हैं उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए सैन्य प्रशिक्षण देना ही नहीं, बल्कि सेना सहित अन्य बलों में रोजगार का अवसर देना है। उन्हें गलत राह की ओर भटकाव से रोकना है, युवा शक्ति को सकारात्मक दिशा में उत्प्रेरित भी करना है।
यह योजना 17 से 21 वर्ष के नवयुवकों के लिए है, यही वह उम्र है जब बच्चों में जोश होता है, लेकिन होश विकसित नहीं होता। कोई भी राजनीतिक दल या अन्य संगठन इनके अविकसित ब्रेन पर हावी होकर जोश का दुरूपयोग कर लेते हैं। रेल रोको, सड़क जाम करो, सरकारी संपत्ति नुकसान करो, ट्रेन-बस जलाओ और पत्थर चलाओ, बाद में मुकदमा, जेल, बेल, सजा में झूलते रहो। हर सरकारी नौकरी में पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य है, सभी आहर्ता पूरा करने के बाद यदि पुलिस वेरिफिकेशन में उक्त युवक का नाम थाने में किसी ऐसे नकारात्मक आंदोलन में दर्ज हो तो उस होनहार युवक का कैरियर समाप्त, भविष्य अंधकारमय। तब वह गैर समाजिक कार्यों के प्रति आकर्षित ही नहीं उसमें लिप्त हो जाता है, देश समाज का सर दर्द बन जाता है। किसी देश की सबसे बड़ी संपत्ति युवा शक्ति होती है, युवा एक ऐसा हाइड्रोजन बम है जिसके सदुपयोग से विकास की महाक्रांति और दुरुपयोग से महाविनाश पल में लाया जा सकता है।
अग्निपथ योजना का मूल उद्देश्य युवाओं को सकारात्मक दिशा में लाना, देश हित में सदुपयोग करना है। दूसरा उद्देश्य विपत्ति में सैनिक के रूप में काम लेना और युवा शक्ति में राष्ट्र प्रेम का जज्बा समा देना है। सेना में हर वर्ष जितनी रिक्तियां होती है या जितने जवान की आवश्यकता होती है, उससे चार गुना युवाओं का चयन करना। उन्हें कठिन सैन्य प्रशिक्षण देना, चार साल तक सेना का अंग बनाए रखना, 25 प्रतिशत को सेना में समाहित कर लेना (जितने की अभी बहाली होती है), आठ लाख प्रति वर्ष वेतन देना, उसके बाद करीब 12 लाख एकमुश्त देकर देश के अन्य सेवा में प्राथमिकता देकर स्वतंत्र कर देना है। अन्य बल जैसे राजकीय पुलिस बल, बीएमपी, आईटीबीपी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड, निजी सुरक्षा गार्ड में इनकी नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर होगी, उक्त सेवा में उन्हें पिछली सेवा की वरीयता मिलेगी। इन सेवाओं में इनके बाद ही अन्य लोगों को बहाली होगा, अन्य सेवा में भी प्राथमिकता मिलेगी।
युवाओं के मन में भरा जा रहा है कि ऐसे तो सेना में 16 साल की नौकरी होती है, आजीवन पेंशन मिलता है, इसमें चार साल बाद ही बेरोजगार हो जाएंगे। जबकि सच्चाई यह है कि अभी तक उतने ही जवान की बहाली होती थी, जितनी सेना में जरूरत थी, बाकी को छोड़ दिया जाता था। अब जितने की जरूरत है, उससे चार गुना अधिक को चुना जाएगा, जो समर्थ साबित होंगे उन 25 प्रतिशत को सेना में समायोजित कर लिया जाएगा। बाकी 75 प्रतिशत भी देश की सेवा करेंगे। जो उम्र नुक्कड़ों पर चाय-सिगरेट में निकल जाती है, उन चार सालों में 23 लाख 43 हजार 160 रुपये कमाने का सुनहरा अवसर है। सरकारी खर्च से चार साल सबसे बेहतरीन प्रशिक्षण मिलेगा साथ में इतने पैसे भी, जॉब वैसे भी नहीं है, 12वीं या स्नातक करने के बाद सीधे अग्निपथ के रास्ते पर ही बच्चों के साथ-साथ हमारे भारत का भविष्य भी सुरक्षित है।
24-25 वर्ष की उम्र में रिटायरमेंट के बाद इन पैसों से कोई व्यापार शुरू करें या नौकरी करनी हो तो इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग के कारण नौकरी आसानी से मिल तो जाएगी, आईटी सहित विभिन्न सेक्टर की कई कंपनियों ने नौकरी की घोषणा की है, वहां सेना का अनुशासन और प्रशिक्षण बहुत काम आएगा। जीवन जैसा अभी चल रहा है, उससे लाख गुना अच्छा तय है तो अग्निपथ योजना का विरोध पूरी नासमझी है। अग्निपथ का दूसरा पहलू देखें तो यह प्रखर राष्ट्रवादी योजना है। इसके माध्यम से इस्लामिक देशों द्वारा चलाए जा रहे गजवा-ए-हिन्द की राह में मोदी सरकार ने फिर से एक बड़ा रोड़ा अटका दिया है। इजराइल की तरह सभी भारतीय को प्रकारान्तर से सैनिक बना देंगे और जरुरी हुआ तो गजवा-ए-हिन्द के समय सशस्त्र सेनाओं का अभिन्न अंग भी बना दिया जाएगा। विपक्षी दलों और देश के गद्दारों को यह बात समझ में आ गई है, इसलिए उन्होंने नौजवानों को भड़काने के लिए अपने आईटी सेल को काम पर लगा दिया।
देश भक्तों को यह समझना होगा कुछ नासमझ समूह विरोध के नाम पर युवाओं के सशस्त्रिकरण की पहली सीढ़ी तैयार कर रहे हैं। इसलिए भीड़ का हिस्सा मत बनिए, बल्कि यह समझिए कि आर्मी तक नहीं पहुंचने का जो आरक्षण था अब वह बल्क में खत्म हो चुका है, युवा शक्ति को गुमराह करके राष्ट्र विरोधी कार्य के लिए उकसाना, उनसे सड़क-रेल बाधित कर आम जनजीवन को नुकसान पहुंचाना, पत्थर फेंकना, राष्ट्रीय संपत्ति नुकसान करना, उन युवाओं का भविष्य अंधकारमय बना देना और बड़ा देशद्रोह है। इन युवाओं को समझाना, उचित सकारात्मक राह पर लाना, देश और देश के नागरिक के प्रति जिम्मेवार बनाना बहुत बड़ा देश भक्ति है। इसलिए नादान मत बनिए और गद्दारों के बहकावे में नहीं आइए, अग्निपथ से देश की सेवा करने के साथ पैसा भी कमाना है। देश में 50 प्रतिशत लोग भी ऐसे नहीं हैं जो पूरी उम्र में इतना पैसा नहीं कमा सकते हैं जो चार साल में अग्निपथ देगा।
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