एयरपोर्ट के विस्तार और विकास के 2018 में आवंटित 20.84 एकड़ जमीन पर चार साल बाद भी एयरपोर्ट को नहीं मिल पा रहा कब्जा
पहले वैकल्पिक मार्ग के लिए कब्जा नहीं दिया था, अब सुपर कॉरिडोर के रूप में वैकल्पिक मार्ग बन जाने के बाद भी बिजासन मंदिर जाने के लिए सेंट्रल स्कूल के पास एक और रोड बनाने की तैयारी
इंदौर, विकाससिंह राठौर।
इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर अंतरराष्ट्रीय विमानतल के विकास के ‘रास्ते’ में एक बार फिर एक नया ‘रास्ता’ रुकावट बन गया है। यह रास्ता बिजासन मंदिर जाने के लिए सेंट्रल स्कूल के पास से बनाए जाने की तैयारी है। इसके लिए हाल ही में सांसद और महापौर ने मौके पर जाकर निरीक्षण करते हुए सर्वे के आदेश भी दिए हैं। अब एक बार फिर इस रास्ते के बनने तक एयरपोर्ट को विस्तार के लिए जमीन नहीं मिल पाएगी और जमीन मिलती भी है तो इस रास्ते के कारण यह कम हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि एयरपोर्ट के विस्तार के लिए नए टर्मिनल भवन के सामने 28 एकड़ जमीन विमानतल प्रबंधन द्वारा शासन-प्रशासन से लंबे समय से मांगी जा रही थी। पहले इस जमीन सहित जिले की करीब 1300 एकड़ जमीन पर उषाराजे ट्रस्ट का दावा था। कई सालों तक प्रशासन और ट्रस्ट के बीच चले मुकदमे के बाद जुलाई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट का दावा खारिज कर दिया था। इसके बाद इस जमीन की मांग तेज हो गई थी। इसके चलते प्रशासन ने जमीन का सर्वे किया और एयरपोर्ट को 20.84 एकड़ जमीन देने की बात कही। 1 अक्टूबर 2018 को इस पर कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी। कागजों पर जमीन को एयरपोर्ट को सौंप भी दिया गया, लेकिन कब्जा लेने के लिए एक शर्त रखी गई कि क्योंकि इस जमीन से बिजासन मंदिर सहित आगे धार रोड की ओर जाने वाली सडक़ भी गुजर रही है, इसलिए जब तक इस रास्ते का वैकल्पिक मार्ग नहीं बन जाता, तब तक एयरपोर्ट जमीन पर कब्जा नहीं ले सकेगा। इसके चलते नया रास्ता बनाने के लिए सर्वे शुरू हुआ और फैसला लिया गया कि सुपर कॉरिडोर को आगे बढ़ाते हुए इसका एक्सटेंशन बनाया जाएगा, जो कॉरिडोर चौराहे से आगे इस मार्ग को जोड़ेगा। आईडीए को सडक़ बनाने की जिम्मेदारी दी गई। आईडीए ने दो साल में करीब पौने दो किलोमीटर का यह मार्ग भी तैयार कर दिया, लेकिन अब तक इस जमीन पर विमानतल को कब्जा नहीं मिल पाया है।
बिजासन मंदिर प्रबंधन की आपत्ति के बाद नए मार्ग की बात
सुपर कॉरिडोर एक्सटेंशन बन जाने के बाद एयरपोर्ट विस्तार के लिए कई बार जमीन की मांग किए जाने पर 2 सितंबर 2022 को प्रशासन ने इस जमीन को एयरपोर्ट को सौंप देने का पत्र दिया। एयरपोर्ट प्रबंधन इस जमीन पर कब्जा लेने की योजना ही बना रहा था कि बिजासन मंदिर प्रबंधन और भक्तों द्वारा इस पर आपत्ति लेते हुए कहा गया कि इस रास्ते को बंद किए जाने से बिजासन जाने वाले श्रद्धालुओं का रास्ता भी बंद हो जाएगा और कॉरिडोर से घूमकर आना बहुत लंबा होगा। इसलिए इस रास्ते को बंद किया जाता है तो आंदोलन किया जाएगा। इसे लेकर एयरपोर्ट को एक लीगल नोटिस भी भेजा गया और सांसद व महापौर से भी मांग रखी गई। इसके चलते जमीन फिर कागजों में ही एयरपोर्ट के पास रह गई।
फिर नए रास्ते की योजना
बिजासन मंदिर प्रबंधन और भक्तों की मांग के आगे सरकार एक बार फिर नतमस्तक नजर आ रही है। अब एक बार फिर बिजासन जाने के लिए नए रोड को बनाए जाने की योजना है, जो सेंट्रल स्कूल के पास से होता हुआ बिजासन की चढ़ाई की सडक़ तक जाएगा। इसके लिए 20 जनवरी को सांसद शंकर लालवानी और महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित निगम व प्रशासन के अधिकारियों ने यहां जाकर निरीक्षण भी किया और यहां नया रास्ता बनाने के लिए सर्वे करने के निर्देश भी दिए। इसके चलते एक बार फिर एयरपोर्ट प्रबंधन जमीन पर कब्जा नहीं ले सकेगा।
बड़ा सवाल
अगर यहां सडक़ बनाना ही थी तो क्यों बनाया कॉरिडोर एक्सटेंशन?
इस पूरे विवाद में जो सबसे बड़ा सवाल सामने आ रहा है, वो यह है कि अगर शासन-प्रशासन को सेंट्रल स्कूल के पास से बिजासन सहित आगे के रास्ते को जोडऩे के लिए सडक़ बनाना ही थी तो यह काम 2018 में ही कैबिनेट की शर्त पर क्यों नहीं कर लिया गया? क्यों सुपर कॉरिडोर का एक्सटेंशन बनाया गया? क्यों कॉरिडोर एक्सटेंशन बनाने पर करोड़ों रुपए और दो सालों का समय खर्च किया गया? क्या इसका उद्देश्य एयरपोर्ट के विकास को रोकना था? क्या एक्सटेंशन बनाने का उद्देश्य उस रोड पर बनी कॉलोनियों को बड़ा रास्ता देकर फायदा पहुंचाना था?
तत्कालीन सांसद व लोकसभा स्पीकर ने ली थी आपत्ति
2018 में भी जब सेंट्रल स्कूल के पास से रोड बनाने की बात उठी थी, तब तत्कालीन सांसद और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि अगर एयरपोर्ट के लिए आरक्षित जमीन में से सडक़ की जमीन भी ले ली जाएगी तो विकास के लिए एयरपोर्ट को क्या मिलेगा। इसके बाद ही कॉरिडोर एक्टेंशन रोड का विकल्प निकाला गया था। तब यह भी कहा गया था कि वाहन से जाने वाले घूमकर भी जा सकते हैं और पैदल जाने वालों के लिए पहले से अलग से सीढिय़ों का रास्ता बना हुआ है। आज चार साल बाद कॉरिडोर एक्सटेंशन होने के बाद भी वहीं सडक़ बनाने की तैयारी की जा रही है, जिससे एक बार फिर एयरपोर्ट को मिलने वाली जमीन का एक हिस्सा कम होता नजर आ रहा है।
कई बार डिजाइन बनने के बाद आगे नहीं बढ़ा काम
एयरपोर्ट के विस्तार के लिए जमीन को लेकर लगातार हो रहे बदलाव के कारण एयरपोर्ट प्रबंधन भी परेशान है। सबसे पहले एयरपोर्ट अथोरिटी ने 28 एकड़ के हिसाब से विस्तार योजना बनाई थी। बाद में इसे कम करते हुए 20.84 एकड़ के हिसाब से योजना बनाई गई। अब एक बार फिर नए रास्ते को देखते हुए नई योजना बनानी होगी। इससे विकास और विस्तार की योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। ये काम भी लेट हो रहे हैं और इससे इनकी लागत भी बढ़ती जा रही है।
हमने निरीक्षण कर सर्वे के लिए कहा है, रिपोर्ट के बाद फैसला लेंगे
लोगों की मांग को देखते हुए मैंने सांसद सहित अन्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ एयरपोर्ट के सामने सेंट्रल स्कूल के पास से एक रोड बिजासन टेकरी की चढ़ाई तक बनाने के लिए निरीक्षण किया है, साथ ही अधिकारियों को सर्वे कर रिपोर्ट देने को कहा है। अगर सडक़ बनाई जाती है तो यह सिर्फ पैदल यात्रियों के लिए ना होकर वाहनों के लिए भी बनाई जाएगी, लेकिन ये सारे फैसले रिपोर्ट आने के बाद ही लिए जाएंगे।
– पुष्यमित्र भार्गव, महापौर, इंदौर
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