इंदौर। करीब सवा सौ साल बाद दीवाली के दूसरे दिन आए सूर्यग्रहण का व्यापक असर शहर में देखा गया। दिन में तो शहर में फिर भी वाहनों की रेलमपेल दिखाई दी, लेकिन शाम को जैसे ही सूर्यग्रहण शुरू हुआ सडक़ों पर सन्नाटा पसर गया। जिन बाजारों में दूसरे दिन चहल-पहल रहती थी, वहां एक भी दुकान खुली नजर नहीं आई। ग्रहण हटने के बाद जरूर व्यापाािरयों ने पूजा-पाठ के लिए दुकानें खोलीं।
बताया जा रहा है कि इस प्रकार का ग्रहण करीब सवा सौ साल बाद है। हालांकि इंदौर में इस ग्रहण का 35 प्रतिशत हिस्सा ही दिखा है। बाकी उत्तर भारत के क्षेत्र में इसका प्रभाव ज्यादा था। चूंकि दीवाली के दूसरे दिन ग्रहण आया था, इसलिए भी लोगों में इसका प्रभाव देखा गया और ज्योतिषियों ने कुछ राशियों पर इसके दुष्प्रभाव भी बताएं थे। इसी कारण अधिकांश लोग घरों के बाहर निकले और दिनभर घर में ही रहे। शाम को जैसे ही ग्रहण शुरू हुआ सडक़ों पर वीरानी छा गई और लोग घरों में कैद हो गए।
इस दौरान शहर की सडक़ें सूनी हो गईं। जिन बाजारों में दीवाली के दूसरे दिन चहल-पहल रहती थी, वहीं ऐसा लग रहा था कि कफ्र्यू लगा हुआ है और इक्का-दुक्का वाहनों को ही सडक़ से निकलने की छूट है। इसके बाद ग्रहण का मोक्ष होने के बाद ही लोग घरों से स्नान और पूजा कर बाहर निकले। शम 7 बजेके बाद शहर की सडक़ों पर रौनक नजर अने लगी तो व्यापारी वर्ग भी अपनी दुकानों पर पूजा करने पहुंचा ओर भगवान की मूर्तियों का स्नान करवाकर दूसरे दिन मुहूर्त की पूजा की।
आज सुबह हुआ ग्रहण का दान
ग्रहण के बाद दान देने की परंपरा है, लेकिन रात को दान पुण्य न करके आज सुबह लोगों ने दान-पुण्य किया और मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ कर गोवर्धन पूजा की शुरूआत की।
दीवाली का प्रसाद तक नहीं बंटा
ग्रहण के कारण दीवाली की मिठाइयां और प्रसाद बांटने का सिलसिला भी कल थमा रहा। हालांकि कुछ लोग इसे न मानते हुए लोगों से मिलने भी निकले और मिठाइयां बांटकर दीवाली की शुभकामनाएं दीं।
राशियों को लेकर होती रही चर्चा
यह ग्रहण चूंकि अधिकांश राशियों के लिए ठीक नहीं था, इसलिए ज्योतिषियों द्वारा की गई भविष्यवाणी की चर्चा भी होती रही। किसके लिए ग्रहण शुभ या अशुभ है, इस पर भी बहस चली।
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