नई दिल्ली। बेकाबू महंगाई (uncontrollable inflation) पर काबू पाने के लिए सरकार (government) ने महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। सरकार ने मई महीने में गेहूं के निर्यात (wheat export ban) पर रोक लगाने के बाद अब इसके आटा का निर्यात (export of flour) करने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति की मंजूरी को अनिवार्य बना दिया है। विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इससे सबंधित अधिसूचना जारी कर दी है, जो 12 जुलाई, 2022 से लागू होगी।
डीजीएफटी की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक गेहूं के आटे का निर्यात मुक्त रहेगा, लेकिन यह अंतर-मंत्रालयी समिति के अधीन होगा। अधिसूचना के मुताबिक अब सभी निर्यातकों को शिपमेंट से पहले गेहूं निर्यात पर अंतर-मंत्रालयी समिति से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह नियम गेहूं का आटा, मैदा, सूजी आदि पर भी लागू होगा।
विदेशी व्यापार महानिदेशालय के अधिसूचना में कहा गया है कि गेहूं के आटे से संबंधित नया निर्देश 12 जुलाई से लागू होगा। डीजीएफटी के मुताबिक इससे पहले 6 जुलाई से 12 जुलाई, 2022 के बीच सिर्फ उन्हीं कंसाइनमेंट्स को निर्यात की मंजूरी मिल पाएगी, जो शिप पर लोड हो चुके हैं या तो कस्टम को हैंडओवर किए जा चुके हैं। इसके अलावा अन्य कंसाइनमेंट रोक दिए जायेंगे।
दरअसल, पिछले माह जून में खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने गेहूं के आटे के निर्यात पर संभावित अंकुश लगाने का संकेत दिया था। घरेलू बाजार में आटे की बढ़ती कीमत पर उन्होंने कहा था कि गेहूं को निर्यात के लिए ज्यादा मात्रा में आटे में परिवर्तित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि गेहूं एक रेग्युलेटेड कमोडिटी है। इससे पहले मई महीने में सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। (एजेंसी, हि.स.)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved