नई दिल्ली। वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपने खिलाफ पुलिस की धरपकड़ शुरू होने के 36 दिन बाद रविवार सुबह पंजाब के मोगा में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमृतपाल यहां के रोडेवाला गुरुद्वारे पहुंचा, जहां पूर्व ग्रंथी ने पुलिस को उसके आने की सूचना दी। बताया गया है कि पुलिस इसके बाद अमृतपाल को अमृतसर ले जाएगी, जहां उससे खालिस्तान से जुड़ी गतिविधियों को लेकर सवाल किए जाएंगे।
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख है। इसने करीब पांच महीने पहले ही इस संगठन की बागडोर संभाली थी। अमृतपाल अमृतसर के गांव जंडुपुर खेरा का रहने वाला है। 2012 से पहले ही अमृतपाल का परिवार दुबई चला गया था। वहां परिवार ने ट्रांसपोर्ट का काम शुरू कर दिया। 2013 में दुबई में ट्रांसपोर्ट का कामकाज अमृतपाल देखने लगा।
अगस्त 2022 में अमृतपाल दुबई से अकेला ही पंजाब आया था। अक्तूबर में अमृतपाल ने जरनैल सिंह भिंडरावाला के गांव रोडे में ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के नए मुखिया के तौर पर ओहदा संभाला। यह संगठन दिल्ली हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू ने बनाया था। इस दौरान अमृतपाल ने खुद को जरनैल सिंह भिंडरांवाला का अनुयायी बताते हुए सिख युवाओं को अगली जंग के लिए तैयार होने का आह्वान किया था। इसके बाद खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई थी। उसके बारे में जांच शुरू की गई। खालिस्तानी विचारधारा का पाठ उसे दुबई में ही पढ़ाया गया है।
चर्चा में कब आया अमृतपाल?
दरअसल, रूपनगर जिले के चमकौर साहिब के वरिंदर सिंह ने लवप्रीत सिंह व अमृतपाल समेत उसके 30 समर्थकों पर अपहरण व मारपीट की शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसके बाद लवप्रीत व एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। एक आरोपी को तो पुलिस ने पहले ही रिहा कर दिया था लेकिन लवप्रीत को रिहा करने के लिए अमृतपाल ने थाने के बाहर धरने की चेतावनी दी। 23 फरवरी को अमृतपाल श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप के साथ अपने समर्थकों सहित थाने पहुंचा। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश की तो उग्र भीड़ ने बैरिकेड तोड़ डाले और तलवारों व बंदूकों के साथ थाने पर हमला कर दिया, जिसमें एसपी समेत छह पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।
गृह मंत्री को भी दी थी धमकी
अजनाला थाने पर हमले के दौरान ही अमृतपाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दी थी। अमृतपाल ने कहा था कि शाह का हाल भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा होगा। 1984 में इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। बता दें कि शाह ने कुछ दिन पहले कहा था कि पंजाब में खालिस्तान समर्थकों पर हमारी कड़ी नजर है।
अजनाला केस के बाद क्या-क्या हुआ?
मार्च के शुरुआत से ही पंजाब सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर अमृतपाल की गिरफ्तारी की योजना बना रही थी। इसी कड़ी में दो मार्च को राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और उनके साथ राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की। इस दौरान फैसला लिया गया कि सुरक्षा संबंधी सभी मुद्दों से निपटने के लिए केंद्रीय और राज्य सुरक्षा एजेंसियां मिलकर काम करेंगी।
अजनाला कांड के बाद सीएम की शाह से मुलाकात काफी अहम थी। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान अजनाला कांड पर भी चर्चा हुई थी। करीब 40 मिनट की इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री को सीमा पार से नशे और हथियारों की सप्लाई के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी।
दिसंबर से शुरु हुई अमृतपाल पर अंकुश की तैयारी
दिसंबर 2022 में गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में सभी राज्यों के डीजीपी की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में पंजाब के डीजीपी गौरव यादव की तरफ से एक प्रेजेंटेशन दी गई थी। इसमें उन्होंने हथियार और नशे की तस्करी के अलावा खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के बारे में विस्तार से बताया था।
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