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मौसम के बाद अब किसानों पर फसलों के दाम की मार, मंडियो में जमीन पर आए सोयाबीन के भाव

September 21, 2022

Soybean Crop Price: मौसम की मार (Weathering) के बाद अब किसानों (Farmers) को फसलों के दाम की मार भी झेलनी पड़ सकती है. मालवा का पीला सोना कहे जाने वाले सोयाबीन (Soybean) के दाम जमीन पर आ गए हैं. इस बार सोयाबीन की आवक में भले ही कमी आई हो मगर दाम फिलहाल ठीक नहीं है. मालवा में बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा सोयाबीन की फसल पककर तैयार होती है. सोयाबीन की फसल जून और जुलाई के महीने में बोई जाती है, जबकि इसकी कटाई दीपावली (Deepawali) के पहले हो जाती है. किसानों को सबसे ज्यादा उम्मीद सोयाबीन की फसल पर रहती है.



इस बार तमाम वायरस की वजह से सोयाबीन की पैदावार में काफी कमी आई है. इसके बाद किसानों को सोयाबीन के दाम की दोहरी मार उठानी पड़ सकती है. किसान रमेश सिंह के मुताबिक फिलहाल सोयाबीन अलग-अलग मंडियों में अलग-अलग भाव पर बिक रही है. फिर भी औसत भाव 4500 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आ रहा है. यह दाम बेहद कम है और सोयाबीन की फसल किसानों के लिए सबसे राहत देने वाली फसल मानी जाती है. किसानों के सारे त्यौहार, शादी, मांगलिक कार्य (demanding work) और सभी आयोजन इसी फसल के बल पर रहते हैं.

सोयाबीन की फसल का सीमित सीमा में होगा भंडारण
हालांकि इस बार सोयाबीन के दाम जमीन पर आ गए हैं. किसान राधेश्याम माली के मुताबिक अभी सोयाबीन की आवक शुरू भी नहीं हुई है और भाव में काफी गिरावट देखने को मिल रही है. जब सोयाबीन की आवक बंपर होगी तो ऐसी स्थिति में दाम और कम भी हो सकते हैं. यह किसानों के लिए चिंताजनक खबर है. सोयाबीन तेल की कीमतों पर कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार (Central government) की ओर से सोयाबीन के भंडारण को लेकर नियम बनाया गया है. इसके तहत एक निर्धारित सीमा में ही व्यापारी इसका भंडारण (storage) कर सकता है. यही वजह है कि व्यापारियों द्वारा नियम अनुसार खरीदी की योजना बनाई गई है. इसी के चलते फिलहाल सोयाबीन के भाव में कमी देखने को मिल रही है. पूर्व में व्यापारियों द्वारा सोयाबीन की फसलों का भंडारण किया जाता था और दाम अधिक होने पर उसे बेचा जाता था. इस बार व्यापारियों द्वारा सीमित सीमा में ही सोयाबीन की फसल का भंडारण किया जा सकेगा.

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