नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने कहा है कि पूर्वी वायुसेना कमांड जल्द ही उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के जवानों की ट्रेनिंग के लिए एक अभ्यास सेशन आयोजित करेंगे. लेकिन उन्होंने बताया कि इस अभ्यास का तवांग में हुई भारत-चीन सेना के बीच भिड़ंत से कोई कनेक्शन नहीं है. उन्होंने कहा, ‘यह अभ्यास पहले ही पूरी तरह से प्लान किया गया था, इसका हाल ही में हुए तवांग के मामले से कोई लेना देना नहीं है.’
यहां पढ़ें तवांग में सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के हुई भिड़ंत के बाद 10 बड़े अपडेट.
- भारतीय वायु सेना (IAF) ने कहा है कि पूर्व में गुरुवार और शुक्रवार को होने वाले प्रशिक्षण अभ्यास चीन के साथ सीमा संघर्ष से जुड़े नहीं हैं. उस क्षेत्र में ये अभ्यास ऐसे समय में हो रहे हैं जब भारतीय वायुसेना को पिछले कुछ हफ्तों में दो या तीन बार अपने लड़ाकू विमानों की इमरजेंसी में जरूरत पड़ी है.
- सूत्रों ने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब चीनी विमानों का पता लगाने के बाद भारतीय वायुसेना ने उन्हें खदेड़ने के लिए लड़ाकू विमानों को भेजा था. यहां पर दोनों देशों के बीच एक विवादित सीमा है.
- भारतीय वायुसेना इलाके में चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगातार पेट्रोलिंग कर रही है. इस गश्त में लड़ाकू हवाई विमान इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस हफ्ते की शुरुआत में संसद को बताया कि भारतीय सैनिकों ने 9 दिसंबर को सीमा पर हुई झड़प के दौरान चीनी सैनिकों को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया था. उन्होंने बताया कि भारतीय सैनिकों ने इस झड़प में लाठी और अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया, लेकिन बंदूकों का इस्तेमाल नहीं किया. जिससे दोनों पक्षों को चोटें भी आई हैं. वहीं चीन ने दावा किया है कि, चीनी सैनिकों द्वारा नियमित गश्त को रोकने के लिए भारतीय सैनिकों ने अवैध रूप से वास्तविक सीमा को पार किया था.
- हाल ही में हिमालयी क्षेत्र के तवांग में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई झड़प लंबे समय बाद पहली रिपोर्टेड झड़प थी. इससे पहले 2020 में लद्दाख के गलवान वैली में हुई थी. इस झड़प में 20 भारतीय और 4 चीनी सैनिक मारे गए थे.
- चार दिन बाद समाचार रिपोर्ट्स के सामने आने पर भारत सरकार ने इस संघर्ष की पुष्टि की. इसमें कहा गया है कि तनाव को शांत करने के लिए दोनों पक्षों के कमांडरों के बीच फ्लैग मीटिंग हुई. इसने संसद में पीएम नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के दावों पर चर्चा में शामिल होने से भी इनकार कर दिया. मुख्य विपक्ष पार्टी कांग्रेस ने कहा कि तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने 1962 के युद्ध के दौरान इस तरह की चर्चा को प्रोत्साहित किया था.
- सरकार द्वारा झड़प की पुष्टि करने के एक दिन बाद, पिछली झड़प का एक वीडियो भी सामने आया, जिसे झूठे संदेश के साथ शेयर किया गया कि यह तवांग में हुई झड़प का वीडियो है.
- राजनाथ सिंह ने कहा, 9 दिसंबर को तवांग में यांग्त्से नदी क्षेत्र में, दोनों पक्षों के बीच भिड़ंत हुई थी. लेकिन भारतीय सैनिकों ने “चीनी सैनिकों को अपनी चौकियों पर लौटने के लिए मजबूर किया.”
- भारत और चीन के बीच अविभाजित सीमा कुल 3488 किलोमीटर है और इसमें 25 जगहों पर विवादित स्थिति है. इनमें से एक यांग्त्से है, जिसे चीनियों ने बार-बार निशाना बनाया है.
- गलवान संघर्ष के दो साल बाद में, सैन्य कमांडरों के बीच कई बैठकें हुई थी. कई प्रयासों के बाद दोनों देशों की सेनाएं विवादित जगहों से पीछे हट हट गई थीं.