डेस्क। तालिबान नेताओं (Taliban leaders) ने काबुल (Kabul) पर नियंत्रण बनाने के बाद नई सरकार के गठन की कवायद तेज कर दी है। तालिबान (Taliban) का राजनीतिक प्रमुख और नंबर दो नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर इसके लिए 20 राज्यों के पूर्व गवर्नरों से मिलने जा रहा है। उधर, पंजशीर घाटी में तालिबान (Taliban) विरोध की अगुआई कर रहे अहमद मसूद ने अपने इलाके सौंपने से इनकार कर दिया है।
तालिबान (Taliban) प्रवक्ता ने दो दिन पहले 31 अगस्त तक नई सरकार का गठन हो जाने की संभावना जताई थी। अमेरिका (America) ने भी अफगानिस्तान (Afganistan) से अपनी पूरी तरह वापसी के लिए यही समयसीमा तय की हुई है। रविवार को एक तालिबान (Taliban) अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मुल्ला बरादर के काबुल (Kabul) पहुंचने के बाद अब सरकार गठन की कवायद निर्णायक दौर में पहुंच गई है।
बरादर के नेतृत्व में तालिबान कमांडरों का समूह अगले कुछ दिन में अफगानिस्तान के 34 में से 20 से ज्यादा प्रांतों के गवर्नरों व नौकरशाहों के साथ मुलाकात करेगा और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बदले नई सरकार के लिए समर्थन मांगेगा।
उधर, तालिबान से तीन जिले वापस छीन लेने का दावा करने वाले नादर्न अलायंस के नेता अहमद मसूद ने पंजशीर घाटी में अल-अरबिया टीवी से रविवार को कहा कि वह तालिबान के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा और न ही अपने इलाके उनके हवाले करेगा।
बता दें कि पंजशीर घाटी हमेशा से तालिबान के ऊपर अजेय रही है। इसलिए मसूद के बयान के बाद अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बावजूद गृहयुद्ध जारी रहने के आसार बन गए हैं।
ब्रिटिश पीएम ने बुलाई जी-7 की बैठक
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को जी-7 समूह के देशों के नेताओं की बैठक बुलाई है। दुनिया के सात अमीर व शक्तिशाली देशों के इस समूह की बैठक के लिए अफगान लोगों के लिए समर्थन जुटाने, उनके सुरक्षित देश से बाहर निकलने और मानवीय संकट पैदा होने से रोकने के प्रयास का एजेंडा तय किया गया है।
तालिबान ने कहा, विदेशी सेनाएं स्पष्ट करने निकासी योजना
काबुल एयरपोर्ट के बाहर लगातार बढ़ रहे उपद्रव के बाद तालिबान ने रविवार को विदेशी सेनाओं से निकासी स्पष्ट करने को कहा। एक तालिबान अधिकारी ने कहा, हम विदेशी सेनाओं से पूरी स्पष्ट स्थिति जानना चाहते हैं।
उधर, अमेरिका और अन्य विदेशी सेनाएं अपने नागरिकों और अपनी मदद करने वाले अफगान नागरिकों को निकालने के लिए काबुल में लगातार अपने जवान बढ़ा रही हैं। लेकिन उन्होंने तालिबान आतंकियों से किसी भी टकराव को टालने के लिए दूरी बना रखी है।
पुतिन को पड़ोसी देशों में अफगान शरणार्थियों पर एतराज
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने पड़ोसी देशों में अफगान शरणार्थियों को रखे जाने के विचार को खारिज किया है। उन्होंने इस पर एतराज जताते हुए रविवार को कहा कि वह नहीं चाहते शरणार्थियों की आड़ में छिपकर आतंकी उनके देश के करीब तक पहुंच जाएं।
अमेरिकी विमानों को आईएस हमले का डर
काबुल एयरपोर्ट पर फैली भारी अव्यवस्था के बीच लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाल रहे अमेरिकी विमानों ने शनिवार से एक नई व्यवस्था शुरू की है। तालिबान आतंकियों से घिरे एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैन्य विमान बेहद तेज और युद्ध के समय जैसी लैंडिंग और टेकऑफ कर रहे हैं। किसी भी विमान के उड़ान भरने के दौरान अन्य विमान रॉकेट फ्लेयर्स हवा में छोड़ रहे हैं ताकि गर्मी का पीछा करने वाली मिसाइल से उड़ान भरने वाले विमान को निशाना नहीं बनाया जा सके। यह बदलाव अमेरिकी दूतावास की तरफ से नई सुरक्षा चेतावनी जारी करने के बाद आईएस आतंकियों के संभावित हमले से बचने के लिए किया गया है।
एयरपोर्ट पर मौत अमेरिका के कारण: तालिबान
काबुल एयरपोर्ट के बाहर शनिवार को भीड़ से कुचलकर सात लोगों की मौत की जिम्मेदारी तालिबान ने अमेरिका पर थोपी है। शनिवार रात को ईरान के सरकारी टीवी से वीडियो कॉल पर बात करते हुए तालिबान प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने कहा कि अमेरिका ने घोषणा की थी कि हम लोगों को अपने साथ ले जाएंगे। इसके चलते लोग एयरपोर्ट के बाहर जमा हो गए हैं।
तालिबान की गाइडेंस काउंसिल के मुखिया आमिर खान मोताकी ने भी रविवार को ऑनलाइन पोस्ट की गई ऑडियो क्लिप में एयरपोर्ट के हालात का जिम्मेदार अमेरिका को ठहराया। मोताकी ने कहा, पूरा अफगानिस्तान सुरक्षित और शांत है, लेकिन अमेरिका के प्रबंधन वाले एयरपोर्ट पर अराजकता है।
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