नई दिल्ली। कांग्रेस ने कृषि कानूनों को लेकर चल रही बातचीत पर उच्चतम न्यायालय की ओर से निराशा जताए जाने के बाद सोमवार को कहा कि तीनों को कानून रद्द करने की जरूरत है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘उच्चतम न्यायालय राजनीतिक मुद्दों का निर्णय करता है, राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूंजीपतियों के दरवाजे पर बेचने की साजिश का नहीं।’
सुप्रीम कोर्ट सविंधानिक मुद्दों का निर्णय करती है,
राजनीतिक बेईमानी से खेती को पूँजीपतियों की ड्योढ़ी पर बेचने की साज़िश का नही।
सवाल 3 कृषि विरोधी कानूनों में MSP व अनाजमंडियों को ख़त्म करने का है,
किसान को अपने ही खेत में ग़ुलाम बनाने का है,
उसके लिए क़ानून रद्द करने होंगे
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 11, 2021
उन्होंने कहा, ‘सवाल 3 कृषि विरोधी कानूनों में एमएसपी व अनाजमंडियों को खत्म करने का है, किसान को अपने ही खेत में ग़ुलाम बनाने का है। इसलिए क़ानून रद्द करने होंगे।’ उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केन्द्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह ”बेहद निराश” है।
मोदी जी,
इसे कहते हैं ना आपदा में अवसर।देश के आम जन के अलावा आपने तो बेरोज़गारों को भी नहीं बख्शा। एक तरफ़ नौकरी नही। बेरोज़गारी दर 9% पहुँच गई।
और नौकरी की आवेदन फ़ीस दस गुणा बढ़ाकर ही नौ अरब कमा डाले । कोई जनसेवक इतना निर्दयी कैसे हो सकता है, भला ! pic.twitter.com/1w2tZOoROI
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 11, 2021
प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ” क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।” उसने कहा, ” हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।” पीठ ने कहा, ” हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।” पीठ में जस्टिस एस. एस. बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमणियन भी शामिल थे।
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