इंदौर। इंदौर में मतदान ज्यादा से ज्यादा हो इसके लिए भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व कितना चिंतित था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार को मतदान के दिन जब पहले 4 घंटे में 25 प्रतिशत मतदान के बाद मतदान की गति धीमी हो गई तो स्थानीय नेताओं के पास दिल्ली से पार्टी के जिम्मेदार लोगों के फोन आ गए। कांग्रेस प्रत्याशी के न होने से पार्टी का एक बड़ा वर्ग चुनाव की सक्रियता से दूर हो गया था। पार्टी के कुछ नेताओं ने भी चुनाव से दूरी बना ली थी। इसका असर मतदान के प्रतिशत पर पड़ सकता था। इसी के चलते पार्टी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश जायसवाल ने एक सप्ताह पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम पार्टी नेताओं की बैठक ली थी और यह हिदायत दी थी कि हर हालत में ज्यादा से ज्यादा मतदान होना चाहिए।
पार्टी विधायकों और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की भी जिम्मेदारी तय की गई थी। इसी के बाद पार्टी के स्थानीय बड़े नेताओं ने मैदान संभाला और नाराज कार्यकर्ताओं को भी मनाया। सोमवार को मतदान के दौरान सुबह के 4 घंटे में तो ठीक-ठाक मतदान हुआ। पार्टी कार्यकर्ता भी टेबलों पर नजर आए, लेकिन 11 बजे बाद मतदान की गति धीमी हो गई। इसके बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने परिवार के साथ मतदान करने के बाद शहर के कई मतदान केंद्रों पर पहुंचे और वहां तैनात कार्यकर्ताओं से कहा कि जो लोग अभी तक मतदान के लिए नहीं आए हैं, उनसे संपर्क कर वोटिंग के लिए लाया जाए। पार्टी के शहर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने बूथ अध्यक्षों से संपर्क किया और दोपहर 12 तक की मतदान की स्थिति की जानकारी लेने के बाद और अधिक मतदान के संबंध में निर्देश दिए। पार्टी विधायक भी 11 बजे बाद अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हुए और खुद कई मतदाताओं को फोन कर मतदान के लिए पहुंचने का आग्रह करते नजर आए। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी स्वयं फोन लगाकर मतदाताओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित किया।
लालवानी की निजी टीम पूरी तरह सक्रिय रही
लालवानी की निजी टीम मतदान के दौरान बहुत सक्रिय रही। ये लोग अपने-अपने बूथ के साथ ही संबंधित विधानसभा क्षेत्र में भी काफी सक्रिय रहे। मतदान की गति धीमी होने की सूचना या मतदान अधिकारी द्वारा जानबूझकर विलंब करने की जानकारी मिलने पर यह लोग तत्काल वहां पहुंचे और समाधान करवाया। बिचौली के एक मतदान केंद्र पर लालवानी समर्थक कमल गोस्वामी की मतदान के लिए तैनात कर्मचारी से झड़प भी हो गई। यहां पर मतदान दल की कार्यप्रणाली के चलते धीमा मतदान होने की सूचना मिली थी। बाद में संबंधित क्षेत्र के एसडीएम भी वहां पहुंचे।
दिनभर सक्रिय रहे संघ के कार्यकर्ता
इंदौर में ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मोर्चा संभाल लिया था। यह लोग अंदर बैठे पोलिंग एजेंट के संपर्क में थे और वहां से जो सूची प्राप्त हो रही थी, उसके मुताबिक मतदाताओं से संपर्क कर उनसे मतदान के लिए पहुंचने का आग्रह कर रहे थे। कई जगह संघ कार्यकर्ता मतदाताओं को लेने उनके घर तक भी पहुंचे। लोकसभा चुनाव के लिए संघ की ओर से नियुक्त प्रभारी, संघ के मालवा प्रांत के सहसंपर्क प्रमुख विनय पिंगले सुबह से शाम तक अलग-अलग मतदान केंद्रों पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेते रहे। अमेरिका के नॉर्थ कैरोलिना के डरहम की ड्यूक यूनिवर्सिटी में पढ़ रही उनकी बेटी सायली तो सिर्फ मतदान के लिए इंदौर पहुंची थीं। वह वहां मास्टर्स इन स्टैटिस्टिकल साइंस का दो वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हैं।
वर्मा बोले, फर्जी मतदान के कारण बढ़ा प्रतिशत चुनाव आयोग तक ले जाएंगे मामला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा ने आखिरी के 2 घंटे में मतदान का प्रतिशत बढऩे का बड़ा कारण फर्जी मतदान बताते हुए कहा कि कई जगह हमारे जो कार्यकर्ता पोलिंग एजेंट के रूप में बैठे थे, उन्हें वहां से धमकाकर भगा दिया गया और इसके बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने वहां फर्जी मतदान किया। वर्मा ने कहा कि हम आखिरी 2 घंटे में जो मतदान हुआ है, उसकी बूथवार जानकारी एकत्र कर रहे हैं और इस मुद्दे को चुनाव आयोग तक ले जाया जाएगा।
अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा मेहनत करना पड़ी
अल्पसंख्यक बहुल दो विधानसभा क्षेत्र इंदौर 5 और इंदौर 3 के साथ ही अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी संख्या वाले इंदौर एक विधानसभा क्षेत्र में भी भारतीय जनता पार्टी को कड़ी में मशक्कत करना पड़ी। इंदौर तीन में करीब 40 हजार अल्पसंख्यक मतदाता हैं। इनका एक बड़ा तबका मतदान से दूर रहा और जो मतदान के लिए पहुंचे, उनका झुकाव भी नोटा पर नजर आया। इसी तरह इंदौर पांच में करीब 1 लाख 10 हजार अल्पसंख्यक मतदाता और बड़ी संख्या में क्रिश्चियन मतदाताओं के होने का असर मतदान पर देखने को मिला। प्रारंभिक दौर में कम मतदान के बाद इंदौर पांच में विधायक महेंद्र हार्डिया और इंदौर तीन में विधायक गोलू शुक्ला पूरे समय पोलिंग बूथ पर घूमते रहे और कार्यकर्ताओं के माध्यम से वोटर को मतदान केंद्र पर बुलवाकर वोटिंग करवाया। कई जगह भाजपा की कोशिश के चलते अल्पसंख्यक मतदाता मतदान के लिए निकले।
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