जबलपुर। प्रदेश में इसी साल कुछ महीनों बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और चुनाव की तैयारियों में दोनों ही पार्टियां अपने अपने स्तर पर अपनी जमीन को मजबूत करने में जुट गईं हैं। जिस नेता का जो भी पपसंदीदा क्षेत्र है और जिस जगह से चुनाव लडऩे की तैयारियां हैं वह उस क्षेत्र में अपने संपर्क बनाने और लोंगो से मेल मिलाप करने में जुट गया है। बात करें जबलपुए जिले की सबसे हाईप्रोफाइल सीट कही जाने वाली पाटन विधानसभा की तो यहाँ चुनाव के दिन ज्यों ज्यों करीब आ रहे हैं त्यों त्यों विधानसभा का सियासी पारा ऊपर चढ़ता जा रहा है और सोशल मीडिया के जरिये वार- पलटवार तेज हो गया है। जो बात नेता सामने से नहीं कह पा रहे हैं वो अब सोशल मीडिया में सवाल जवाब कर एक दूसरे को घेर रहे हैं। पाटन विधानसभा में हाल ही में भाजपा के प्रदेश मंत्री आशीष दुबे ने विधानसभा स्तर का एक बड़ा वन भोज का कार्यक्रम कटंगी में आयोजित किया था, जिसमे पूरी विधानसभा के हजारों कार्यकर्ताओं समेत सांसद राकेश सिंह, विनोद गोटिया, प्रभात साहू और कई बड़े नेता पहुंचे लेकिन क्षेत्रीय विधायक अजय विश्नोई इस आमंत्रण में नहीं पहुंचे और पूरे कार्यक्रम से दूर रहे। क्षेत्र में पार्टी के प्रदेश स्तर के एक बड़े नेता अजय विश्नोई का इस आयोजन में शामिल नहीं होने से विधानसभा के सियासी गलियारों में वन भोज के कार्यक्रम की चर्चाओं की गर्मी खत्म हो नहीं पाई थी कि अब 10 मार्च को विधायक अजय विश्नोई द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह चर्चाओं में आ गया है और जिधर देखो उधर होली मिलन समारोह के पहले क्षेत्र क्रमांक 9 से जिला पंचायत सदस्य मनोहर सिंह द्वारा फेसबुक के माध्यम से लिखी गई बातों की वजह से यह होली मिलन समारोह भी खासा चर्चाओं में है।
सोशल मीडिया पर जिला पंचायत सदस्य ने विधायक को घेरा
पाटन विधानसभा के होली मिलन समारोह के ठीक एक दिन पहले क्षेत्र क्रमांक 9 से जिला पंचायत सदस्य मनोहर सिंह ने विधायक अजय विश्नोई को घेरते हुए विधायक को राजा साहब की संज्ञा देते हुए पूरी विधानसभा में को छिन्न भिन्न करने और भाई को भाई , परिवार को परिवार से अलग करने जैसे आरोप लगाते हुए कहा कि ये एक ऐसा होली मिलन है जो दबाव में किया जा रहा है और जो समारोह में नहीं जायेगा वो नजरों में चढ़ जायेगा। साथ ही मनोहर सिंह ने भाजपा प्रदेश मंत्री आशीष दुबे द्वारा आयोजित वन भोज कार्यक्रम को लेकर लिखा कि क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित परिवार के व्यक्ति ने एक कार्यक्रम क्या करवा दिया तो राजा साहब को आपत्ति हो गई कि उनकी मर्जी के बगैर कोई कार्यक्रम कैसे करवा सकता है। एक बार क्षेत्रीय मुद्दे को हावी करते हुए मनोहर सिंह ने लिखा की एक बाहरी व्यक्ति आकर हमारे क्षेत्र में तानाशाही से निजी जीवन में दखल दे रहा है। इस तरह की एक बातें जिला पंचायत सदस्य द्वारा विधायक अजय विश्नोई को लेकर लिखीं जिसके बाद अजय विश्नोई के समर्थकों ने भी वार पलटवार किये और पूरी विधानसभा में यह होली मिलन समारोह चर्चाओं में रहा।
ऐसे शुरू हुई सोशल मीडिया की सियासत
विधानसभा में सोशल मीडिया में मेसेज और वार-पलटवार की सियासत तब से शुरू हुई जब प्रदेश भाजपा मंत्री आशीष दुबे द्वारा कराये गए वन भोज कार्यक्रम के ठीक पहले विधायक अजय विश्नोई ने अपने मंडल के ग्रुपों में कुछ मेसेज भेजे जिसकी वजह से दबाव वस एक भी मंडल अध्यक्ष वन भोज कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हुआ और विधायक के उस मेसेज के खूब वायरल होने बाद विधानसभा का सियासी पारा चढ़ गया। जिसके बाद दो अलग अलग रंगों में दिखी भाजपा के ही वरिष्ठ नेताओं को यह निर्णय लेना कठिन हो गया कि अब किस तरफ जाएं। हालांकि आने वाले विधानसभा चुनाव में स्थिति जो भी हो लेकिन विधानसभा के चुनावों में जिस तरह से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश में भी गुजरात के तर्ज पर चुनाव होंगे। क्योंकि भाजपा किसी भी स्थिति में यह चुनाव अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती और जमीनी स्तर पर सर्वे के आधार पर टिकिट का वितरण करेगी। गुजरात में अधिक उम्र वाले दावेदारों का टिकिट काटकर नए चेहरों को टिकिट दिया गया था, इसी तरह एमपी में भी टिकिट वितरण होगा और यदि पार्टी पाटन से अजय विश्नोई का टिकिट काटती है तो पाटन विधानसभा से भाजपा के सबसे प्रवबल दावेदार आशीष दुबे ही माने जा रहे हैं। लेकिन भाजपा में उम्मीदवारों की लिस्ट भी कोई काम नहीं है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में भी गुटबाजी के बीच दावेदारों की सूची लंबी होती जा रही है। बड़े नेताओं से मेल मुलाकात के दौर की तस्वीरें खुद बया कर रही है कि उछाल मारता मौसमी पारा सियासत की गर्मी भी बढ़ा रहा है। संगठन और बड़े नेता अब किसे राजयोग का ताज पहनाते है ये तो आने वाला वक्त बताएगा पर हाल ही में जो सर्वे हुए है उन्होंने पूर्व और वर्तमान नेताओ को गहरी चिंता में डाल दिया है। बीजेपी जहां विकास को लेकर जनता को साध रही है तो कांग्रेस महंगाई और किसानों को लेकर सरकार और बीजेपी को घेरने में लगी है पर इस बीच स्थानीय मुद्दे गायब नजर आते हैं। मटर के दामों ने किसानों की कमर तोड़ दी तो युवा आज भी रोजगार के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहा है। विधानसभा में मटर की प्रोसेसिंग यूनिट की वर्षो पुरानी मांग किसानों सहित क्षेत्रीय लोगो को राहत प्रदान करती पर राजनीति की चक्की में बिना कृपा के कुछ नही पिसता है।
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