इंदौर। शहर में पहली बार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांटेशन सफल होने से यहां के नेफ्रोलॉजिस्ट, सर्जन, डॉक्टर्स सहित नर्सिंग स्टाफ के अलावा एनेस्थिया और यूरोलॉजिस्ट की संयुक्त टीम किडनी के मरीजों और उनके परिजनों का भरोसा जीतने में कामयाब रही है, वहीं यहां डायलिसिस कराने आने वाले मरीजों और जनता का सरकारी अस्पताल पर विश्वास बढ़ा है। इसी का नतीजा है कि अब किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 3 और मरीज अपनी बारी के इंतजार में है।
किडनी के जिन 3 मरीजों का ट्रांसप्लांट होना है, वह देवास और महू के आसपास के इलाकों से हैं। इनकी उम्र 21 से लेकर लेकर 38 साल की है। इन 3 मरीजों में से एक मरीज को उसकी मां, दूसरे मरीज को उसके पिता और तीसरे मरीज को उसकी पत्नी किडनी देगी। इन तीनों की किडनी ट्रांसप्लांट के लिए प्रशासन से लेकर मेडिकल बोर्ड की अनुमति लेने सम्बन्धित कार्रवाई शुरू कर दी गई है। दीपावली के बाद एक के बाद एक इन मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मेडिकल जांचों से लेकर अन्य प्लानिंग शुरू की जाएगी।
सरकारी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 38 साल तक इंतजार
इंदौर शहर में पहला किडनी ट्रांसप्लांट साल 1985 में एक प्राइवेट हॉस्पिटल में हुआ था, वहीं ब्रेनडेड ऑर्गन डोनेशन के अंतर्गत किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत साल 2000 में हुई थी। शहर के निजी अस्पतालों में जहां हर साल लगभग 200 किडनी ट्रांसप्लांट होते हैं, वहीं निजी अस्पताल में हुए पहले ट्रांसप्लांट के बाद सरकारी अस्पताल में ट्रांसप्लांट शुरू करने में सरकार को 38 साल लग गए। सरकारी अस्पताल में पहला किडनी ट्रांसप्लांट 26 अक्टूबर 2023 को किया गया। 11 दिन बाद कल उसको डिस्चार्ज कर दिया गया। डाक्टरों के अनुसार किडनी देने वाली मां और उसका मरीज बेटा बिल्कुल स्वस्थ है।
यह हैं शहर के 9 प्राइवेट ट्रांसप्लांट सेंटर
शहर में साल 1985 से लेकर 2023 तक किडनी ट्रांसप्लांट के 9 सेंटर मौजूद हैं।
शहर में अब 10 किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर
इंदौर शहर के हाईटेक प्राइवेट अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट के 9 सेंटर हैं और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का सरकारी ट्रांसप्लांट सेंटर सहित इनकी संख्या अब 10 हो गई है। शहर में अभी सबसे ज्यादा किडनी ट्रांसप्लान्ट राजश्री अपोलो हॉस्पिटल और विशेष ज्यूपिटर हॉस्पिटल में होते हैं।
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