लखनऊ । मध्य प्रदेश में (In Madhya Pradesh) सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद के बाद (After the Dispute over Seat Distribution) सपा और कांग्रेस का द्वंद (The Conflict between SP and Congress) शांत नहीं हो सका (Could Not be Resolved) । इसकी बानगी मध्य प्रदेश के चुनावी जनसभा में देखने को मिली है। सपा मुखिया अखिलेश यादव अपनी पहली जनसभा में कांग्रेस पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वाले पहले ‘इंडिया’ गठबंधन में मिलकर चुनाव लड़ने की बात करते रहे, फिर मुकर गए। वह यहीं नहीं रुके, उनके निशाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ भी रहे।
अखिलेश यादव ने कहा कि एक अंग्रेजी अखबार पढ़ रहा था। उस अखबार के फ्रंट पेज की पहली खबर थी, जो यहां के एक कांग्रेस नेता के नाम से मिलती-जुलती थी। जिनके नाम में कमल हो, उनसे क्या उम्मीद कर सकते हो। वो भाजपा की भाषा ही बोलेंगे, दूसरी भाषा नहीं बोलेंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि वैसे तो अखबारों में आपने बहुत कुछ पढ़ लिया होगा। एक समय तो ऐसा था, लग रहा था हम लोग गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हम लोगों में बातचीत हुई और पता नहीं क्या, किस कारण वो बात खत्म हो गई। गठबंधन में चुनाव लड़ने का मौका मिला था। मैं तो कहूंगा कि यह अच्छा किया, कांग्रेस पार्टी ने अभी धोखा दे दिया, अगर बाद में धोखा दिया होता तो हम कहीं के नहीं बचते।
उधर, तीन बार के सांसद व सपा के राष्ट्रीय महासचिव रवि प्रकाश वर्मा ने त्यागपत्र देकर सपा को तगड़ा झटका दिया है। वह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। रवि वर्मा कुर्मी बिरादरी के हैं और उनकी अपने समाज में गहरी पैठ रही है। वर्मा के साथ कई अन्य कुर्मी नेता भी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। रवि वर्मा के परिवार का राजनीति में गहरा दखल रहा है। उनके पिता स्वर्गीय बाल गोविंद वर्मा कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। बालगोविंद वर्मा कांग्रेस से तीन बार सांसद और केंद्रीय मंत्री भी रहे।
कांग्रेस के इस कदम से सपा के साथ उसकी खाई और बढ़ने की आशंका है। ऐसे में विपक्षी गठबंधन में भी दरार आ सकती है। सपा प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं कि कुछ मामलों में भाजपा जैसी ही कांग्रेस भी है। गठबंधन के दलों में तोड़फोड़ करना, यह ठीक नहीं, इस पर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को ध्यान देना चाहिए। चाहे यूपी हो या मध्य प्रदेश, गलत हो रहा है। सपा को गलत बर्दाश्त नहीं होगा।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के आपसी टकराव ने गांठे खोलनी शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश में सीटों के विवाद के बाद सपा और कांग्रेस का द्वंद शांत नहीं हो सका है। बिहार में नीतीश कुमार ने भी कांग्रेस को आंखें दिखानी शुरू कर दी है। अभी अखिलेश यादव मध्य प्रदेश में प्रचार में जायेंगे, तो वह कांग्रेस पर हमला बोलेंगे तो यह दरार बढ़ती जायेगी। इसका असर लोकसभा चुनाव में भी पड़ेगा।
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