नई दिल्ली: विनाशकारी भूकंप (devastating earthquake) की चपेट में आ चुके तुर्की में अब पानी को लेकर संकट गहरा गया है. भूकंप (Earthquake) में किसी तरह से अपनी जान बचाने वाले लोगों को अब चिलचिलाती धूप और गर्मी (sunny and hot) में पानी के लिए घंटों तक कतार में खड़े रहना पड़ रहा है. स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि लोग नहाने के लिए तरस रहे हैं. दूसरी ओर तुर्की सरकार (Turkish government) के अधिकारियों और कर्मचारियों (officers and employees) को जमीन के भीतर बिछी पाइपों और पानी सप्लाई के लिए बने बुनियादी ढांचों की मरम्मत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है क्योंकि भूकंप की वजह से सारे तहस-नहस हो गए हैं.
हटे प्रांत की राजधानी अंताक्या (antakya) में भयंकर लू चल रही है जिसकी वजह से मूलभूत चीजों की सप्लाई भी लोगों तक नहीं हो पा रही है. इन इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. भूकंप के बाद अपने घरों को छोड़ चुके लोग तंबू और कंटेनरों में रह रहे हैं, जहां उन्हें भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. मलबों की वजह से हवा में धूल की मात्रा ज्यादा हो गई है. स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग बाहर निकलने में भी हिचकिचा रहे हैं. हर तरफ धूल का गुब्बार ही नजर आ रहा है.
हालांकि, सरकार की ओर से लोगों को टैंकर और बॉटल के जरिए पानी मुहैया कराया जा रहा है, लेकिन इसके लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. धूल की वजह से साफ-सफाई भी ठीक से नहीं हो पा रही है. लोगों का कहना है उन्हें इस बात का एहसास हो रहा है कि उनके लिए नहाना कितना कीमती हो गया है. सफाई नहीं होने की वजह से टेंट और कंटेनर्स की भी सपाई नहीं हो पा रही है.
बता दें कि इस साल 6 फरवरी को आए विनाशकारी भूकंप की वजह से तुर्की में 50000 से अधिक तो सीरिया में कम से कम 8000 लोग मारे गए थे. सैकड़ों ऊंची इमारते पल भर में जमींदोज हो गईं थीं. जिसके बाद कई तरह की बीमारी भी फैल गई थी. लोगों को सांस संबंधी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. हटे में अधिकारियों और कर्मचारियों का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ी समस्या मलबे को हटाते समय और जर्जर इमारतों को ध्वस्त करते समय पानी का उपयोग नहीं करना है. उन्होंने कहा, आमतौर पर इमारतों को ध्वस्त करते वक्त पानी का छिड़काव किया जाता है ताकि धूल न उड़ सके, लेकिन किल्लत की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.
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