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    Queen Elizabeth-II के निधन के बाद किसे मिलेगा कोहिनूर, ब्रिटेन की अगली महारानी कौन?

  • September 09, 2022

    लंदन। ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद राजपरिवार की जिम्मेदारी उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स पर आ गई है। प्रिवी काउंसिल की बैठक के बाद उन्हें औपचारिक तौर पर ब्रिटेन का नया महाराज घोषित कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उनकी पत्नी डचेज ऑफ कॉर्नवॉल कैमिला को क्वीन कंसोर्ट की उपाधि मिलेगी। यानी वे ब्रिटेन की ‘महारानी’ होंगी। रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटिश राजपरिवार का ‘कोहिनूर’ ताज अब उनके पास ही रहेगा। इसी के साथ सात दशक से भी ज्यादा समय के बाद एक नई महिला को ‘महारानी’ कह कर बुलाएगा।

    ब्रिटेन में कई सालों की बहस के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के कारण यह उपाधि तय हुई। कैमिला को क्वीन कंसोर्ट की पदवी देने का फैसला उन्हीं दिनों में तय कर लिया गया था, जब कैमिला और चार्ल्स एक-दूसरे के करीब आ रहे थे और उनकी शादी नहीं हुई थी। यह तय था कि 75 वर्षीय कैमिला इस उपाधि को ग्रहण करेंगी, लेकिन उन्हें यह उपाधि किसी संप्रभुता वाले अधिकार के बिना दी जाएगी।

    क्यों संप्रभुता वाले अधिकार नहीं मिलेंगे?
    परंपरागत रूप से राजा की पत्नी ‘रानी’ होती हैं, लेकिन चार्ल्स के राजा बनने पर कैमिला की उपाधि क्या होगी यह वर्षों से बड़ा ही उलझा हुआ सवाल रहा है। दरअसल, चार्ल्स की पूर्व पत्नी प्रिंसेज डायना की कार दुर्घटना में 1997 में हुई मौत के बाद लोगों के दिलों में बसा दुख और कैमिला के चार्ल्स की दूसरी पत्नी होने के कारण राजशाही में उनका ओहदा हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है।


    राजमहल के अधिकारियों ने वर्षों तक कहा कि चार्ल्स के राजा बनने पर कैमिला को संभवत: परंपरागत ‘क्वीन कंसोर्ट’ की जगह ‘प्रिंसेस कंसोर्ट’ की उपाधि दी जाएगी। शाही अधिकारियों की मानें तो ब्रिटेन की राजशाही के इतिहास में ‘प्रिंसेस कंसोर्ट’ की उपाधि का कोई उदाहरण नहीं है। इससे मिलती-जुलती उपाधि ‘प्रिंस कंसोर्ट’ सिर्फ एक बार महारानी विक्टोरिया के पति एल्बर्ट के लिए इस्तेमाल की गई थी। हालांकि, जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने सार्वजनिक घोषणा की कि उनके पुत्र प्रिंस चार्ल्स के राजा बनने पर कैमिला को ‘क्वीन कंसोर्ट’ की उपाधि दी जाएगी तो यह चर्चा भी समाप्त हो गई।

    क्या है कोहिनूर?
    कोहनूर 105.6 कैरेट का हीरा है, जिसकी इतिहास में खास जगह रही है। यह हीरा भारत में 14वीं सदी में मिला था और अगली कई सदियों तक अलग-अलग घरानों के पास रहा। 1849 में ब्रिटिश शासन के पंजाब में स्थापित होने के बाद इस हीरे को क्वीन विक्टोरिया को सौंपा गया था। तभी से यह हीरा ब्रिटेन के ताज का हिस्सा है। हालांकि, इसके अधिकार को लेकर भारत समेत चार देशों के बीच विवाद रहे हैं।

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