डेस्क: अमेरिका मध्य पूर्व में अपने सहयोगी इजराइल को लगातार हथियार दे रहा है. इस बीच अमेरिका ने इजराइल के एक और पड़ोसी मुस्लिम देश को हथियार देने का फैसला किया है. गाजा युद्ध के दौरान होने वाली शांति वार्ता के बीच करीबी दोस्त बने मिस्र को भी अमेरिका अब अपने हथियार देने जा रहा है. अमेरिका ने मंगलवार को मिस्र को 740 मिलियन डॉलर की स्टिंगर मिसाइलों की बिक्री को मंजूरी दे दी.
विदेश विभाग ने कांग्रेस को बताया कि हम मिस्र के लिए ‘720 स्टिंगर’ मिसाइलों की बिक्री को मंजूरी दे रहे हैं. विदेश विभाग के एक बयान में कहा गया है कि यह बिक्री मित्र देश की सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करेगी जो मध्य पूर्व में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है.
कांग्रेस अभी भी बिक्री को रोक सकती है, लेकिन ऐसा आमतौर पर होना मुश्किल है. ये नया सौदा अमेरिका पहले से लंबित सैन्य बिक्री के ऑर्डर्स में इजाफा करेगा. अमेरिका को ताइवान और नाटो सहयोगियों से हथियारों के ऑर्डर मिले हैं और वे यूक्रेन और इजरायल दोनों को युद्ध में हथियार दे रहा है.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2021 में राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के तहत मानवाधिकारों की चिंताओं को लेकर मिस्र के प्रति सख्त रुख अपनाया था. लेकिन अमेरिका ने 1979 में इजराइल के साथ शांति समझौते के बाद से लगातार मिस्र को सुरक्षा सहायता दी है और मिस्र के साथ हथियारों के सौदे को बार-बार आगे बढ़ाया है.
इजराइल की सुरक्षा के लिए मिस्र अमेरिका का एक मुख्य अलाय है. गाजा की सीमा मिस्र से मिलती है और इजराइल आरोप लगाता आया है कि मिस्र के रास्ते से ही हमास को हथियार सप्लाई की जाती है. मिस्र से नजदीकी और उसके सुरक्षा मामलों में अमेरिका का दखल होना इजराइल की सुरक्षा के लिए जरूरी है. अमेरिका इस बात को बखूबी समझता है कि चाहे मिस्र की सरकार इजराइल के साथ रिश्ते रखती हो पर मिस्र में मौजूद विपक्ष और कई गुट हमास के कट्टर समर्थक हैं. मिस्र की सरकार और सेना का कमजोर होना इजराइल के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले हफ्ते काहिरा का दौरा किया और मिस्र के साथ साझेदारी की सराहना की, जो कतर के साथ मिलकर वाशिंगटन के साथ लगभग एक साल से चल रहे गाजा युद्ध में खत्म कराने के लिए काम कर रहा है.
मानव अधिकार संगठन कई बार मिस्रकी सीसी सरकार पर राजनीतिक गिरफ्तारियों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय आलोचनाओं के बीच काहिरा ने पिछले दो सालों में सैकड़ों राजनीतिक कैदियों को माफ किया है. हालांकि, मानव अधिकार समूहों का कहना है कि इसी दौरान कम से कम तीन गुना ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
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