उज्जैन। कक्षा पांचवीं और आठवीं का पुनर्मूल्यांकन का रिजल्ट आ चुका है, इसमें जिले के साढ़े 3 हजार से अधिक विद्यार्थियों के नंबरों में सुधार हुआ है और वह पास हो गए हैं। मतलब साफ है कि पूर्व में कॉपी जाँचने में लापरवाही की गई थी जिससे कई विद्यार्थियों का भविष्य बिगड़ रहा था लेकिन इस पूरे मामले में लोक शिक्षण आयुक्त बचकाना बयान दे रहे हैं। उज्जैन जिले में इस बार पांचवीं और आठवीं कक्षा का रिजल्ट काफी बिगड़ा था और सभी तरफ शिकायतें हुई थी। इसके बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में पांचवीं और आठवीं कक्षा की कॉपी फिर से जाँचने का निर्णय लिया था। उज्जैन जिले की कॉपी मंदसौर में जँची थी इसलिए यहाँ से जिले की कॉपियां मंदसौर भेजी गई। मंदसौर में मूल्यांकन का काम चला तो बहुत बड़ी गड़बड़ी और लापरवाही सामने आई।
दोनों कक्षाओं में करीब 10 प्रतिशत विद्यार्थी जिन्हें फेल कर दिया गया था वह इस सुधार में पास हो गए। मतलब साफ है कि मूल्यांकन केंद्र पर शिक्षकों ने लापरवाही बरतकर कॉपियाँ जाँची और नंबर दिए। इस संबंध में जब लोक शिक्षण आयुक्त श्रीधन राजू से चर्चा की गई तो उनका कहना था रिजल्ट में सुधार हुआ तो अब इसमें जिला शिक्षा अधिकारी और मूल्यांकन प्रभारी पर कार्रवाई की क्या जरूरत है। हम और सूक्ष्मता से इस मामले में जाँच कराएँगे, इतने बड़े अधिकारी का ऐसा गैर जिम्मेदाराना बयान साबित करता है कि शिक्षा मंत्रालय में काम किस प्रकार चल रहा है। जिले के साढ़े 3 हजार और प्रदेश के 60 हजार विद्यार्थियों के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे अधिकारियों और शिक्षकों पर कार्यवाही नहीं करना बड़ा प्रश्न खड़ा करता है, जबकि नियमानुसार ऐसी लापरवाही बरतने वालों को निलंबित करना चाहिए और उनकी वेतन वृद्धि रोकना चाहिए ताकि अगली बार कोई परीक्षा परिणाम बनाने में विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना कर सके।
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