नई दिल्ली। हाल ही में इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने अपने सबसे हल्के लड़ाकू विमान को चीन के साथ जारी तनाव के बीच ही लद्दाख में तैनात किया है। अब ऐसी खबरें हैं आईएएफ तेजस की एक नई स्क्वाड्रन को गुजरात और राजस्थान में पाकिस्तान बॉर्डर पर तैयार करने की योजना बना रही है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईएएफ तेजस की एक स्क्वाड्रन को गुजरात के नलिया एयरबेस और एक राजस्थान के फलौदी एयरबेस पर तैयार करने वाली है। एक स्क्वाड्रन में 18 जेट्स होते हैं।
HAL से मिलेंगे 83 तेजस
आईएएफ ने हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 83 मार्क-1ए तेजस खरीदने की डील है। इन नए फाइटर जेट्स की मदद से ही नई स्क्वाड्रन का निर्माण होगा। वेस्टर्न बॉर्डर पर गुजरात के कच्छ के रण में स्थित नलिया और जोधपुर के फलौदी बड़े और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण एयरबेस हैं। तेजस को यहां तैनात करने की तैयारियां लंबे समय से चल रही हैं। इसके लिए तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस से तेजस कई बार यहां आ चुके हैं और पश्चिमी हवाई सीमा पर उड़ान भर चुके हैं। नलिया व जैसलमेर में हाल में छह से सात तेजस विमानों का ट्रायल हो चुका हैं। जून में फलौदी एयरबेस पर भी ट्रायल किया गया था। नलिया एयरबेस से पाकिस्तान की हवाई दूरी महज 40 से 50 किमी है। ऐसे में यहां से हवा, जमीन के अलावा समुद्री सुरक्षा हो सकती है। पाकिस्तान के किसी भी हमले का तुरंत जवाब यहां से बस चंद मिनटों में दिया जा सकता है।
सुलर में तेजस की स्क्वाड्रन
इस वर्ष मई माह में ही तमिलनाडु के सुलूर में तेजस की 45वीं स्क्वाड्रन ऑपरेशनल की गई है। तेजस ने साल 2013 में इनीशियल ऑपरेशनल सर्टिफिकेट (आईओसी) हासिल किया था। अब फाइटर जेट को फाइनल ऑपरेशनल सर्टिफिकेट (एफओसी) दिलाने के प्रयास तेज हो गए हैं।तेजस के साथ यहां पर आईएएफ ने अपनी नंबर 18 स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ को भी ऑपरेशनलाइज कर दिया है जिसने 1971 की जंग में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इस लाइट कॉम्बेट जेट (एलसीए) की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। तेजस साल 2015 में लद्दाख में उड़ान भर चुका है। उस समय तेजस को लद्दाख के मुश्किल मौसम में टेस्ट किया गया था। लद्दाख का तापमान तब -15 डिग्री सेल्सियस तक था और तेजस ने एक मुश्किल टेस्ट पास किया था।
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