इंदौर। जब तक आग ना लगे तब तक सरकारी मशीनरी (Government machinery) हरकत में नहीं आती। हालांकि थोड़े दिन की जांच-पड़ताल (investigation) के बाद कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली जाती है। अभी परसो रात को एलआईजी स्थित विवादित सीएचएल अस्पताल (CHL hospital) के आईसीयू में आग लग गई थी और आनन-फानन मरीजों को शिफ्ट करना पड़ा। तत्पश्चात कलेक्टर ने जहां चार सदस्यीय जांच कमेटी इस आगजनी के लिए गठित की, वहीं स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि सभी अस्पतालों का निरीक्षण किया जाए, जिसके चलते कल से सीएमएचओ सहित विभाग की टीम 160 अस्पतालों का निरीक्षण शुरू किया। आज भी यह पड़ताल जारी रहेगी। हालांकि एक दर्जन के अस्पताल ऐसे हैं जिनके पास फायर फाइटिंग की एनओसी अभी भी नहीं है।
पूर्व में भी प्रदेश के अस्पतालों व इमारतों में आगजनी की बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई मौतें हुईं और उसके बाद शासन-प्रशासन ने जांच अभियान शुरू किया। कुछ अस्पतालों को बंद किया। मगर बाद में फिर शुरू करना पड़ा। कोविड क दौरान भी अस्पतालों को इस प्रकार की जांच-पड़ताल से छूट दी गई। इंदौर में तो अधिकांश निजी अस्पताल नियमों के विरुद्ध भी बने हैं, जिनमें आवासीय भूखंडों पर व्यवसायिक अस्पताल चल रहे हैं। सीएचएल अस्पताल भी इनमें एक है, जिसके खिलाफ हाउसिंग बोर्ड लीज निरस्ती की कार्रवाई भी कर चुका है और उसके बगल में बना कैंसर हॉस्पिटल तो पूरी तरह से अवैध ही है, जो कि आवासीय नक्शे पर तान दिया गया। अभी सीएचएल में लगी आग के बाद स्वास्थ्य विभाग प्रशासन और फायर ब्रिगेड हरकत में आए और आग लगने के तुरंत बाद कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने मौके पर अधिकारियों को भी भेजा और फिर कल चार सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित कर दी, जिसमें मुख्य अधीक्षक फायर ब्रिगेड शशिकांत कनकने, एसडीएम घनश्याम धनगर, कार्यकारी अभियंता हितेन्द्र सोलंकी के साथ सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या को शामिल किया गया है और इस कमेटी से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है। उसके पश्चात लापरवाही मिली तो अस्पताल प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दूसरी तरफ कलेक्टर ने सभी अस्पतालों की जांच फायर फाइटिंग नॉम्स के तहत जांच करने को कहा। कुछ समय पूर्व नगर निगम ने भी इस तरह के आवासीय नक्शों पर बने अस्पतालों को पूर्णता प्रमाण-पत्र देने से मना कर दिया था। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने भी नोटिस जारी किए। डॉ. सैत्या का कहना है कि अभी 160 निजी अस्पतालों की जांच फायर फाइटिंग के मामले में शुरू की गई है। कल भी कई अस्पतालों का अवलोकन किया गया, जिनमें कोकिला बेन, राजश्री अपोलो, शेल्बी, डीएनएस, विशेष ज्युपिटर सहित अन्य अस्पताल शामिल हैं। वहीं आज भी ये कार्रवाई जारी रहेगी। उनके मुताबिक अधिकांश अस्पतालों के पास तो एनओसी है। हालांकि एक दर्जन से अधिक ऐसे भी हैं जिनके पास एनओसी नहीं है, लिहाजा उन्हें अस्पताल संचालन की अनुमति भी नहीं दी है।
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