सिरोंज। वन विभाग में ट्रैक्टर छोडऩे के बदले में लोकायुक्त की कार्रवाई का मामला सामने आने के बाद से ही कई अधिकारी कर्मचारियों की नींद उड़ गई है। क्षेत्र के डिप्टी रेंजर, नाकेदार वन परिक्षेत्र अधिकारी की भूमिका को लेकर भी लोकायुक्त की टीम जांच कर रही है । रिश्वत के खेल में इनकी भूमिका कितनी है किस के इशारे पर नाकेदार ने इतनी मोटी रकम ट्रैक्टर पंजा छोडऩे की एवज में मांगी है कई घंटों तक लोकायुक्त की टीम बारीकी से जांच वन विभाग के कार्यालय में करती रही जिनकी भूमिका संदेह में है वह कार्रवाई से बचने के लिए अपने अपने स्तर से प्रयास करते हुए भी नजर आए अब देखना है कि इनके प्रयास सफल होंगे या फिर लोकायुक्त की कार्रवाई इनकी गिरेबान तक भी पहुंचेगी यह तो आने वाले दिनों में ही सामने आएगा दूसरी ओर सही जांच हुई तो कई बड़े चेहरे उजागर हो सकते हैं । ग्राम बमोरी के किसान राजेंद्र सिंह की शिकायत पर लोकायुक्त ने रिटायर डाकपाल एवं दलाल दलाली के लिए चर्चित बृजभूषण शर्मा को रिश्वत की राशि लेने हुए मंगलवार को रंगे हाथों पकड़ा था । बुधवार को दिन भर इस कार्रवाई को लेकर चर्चा चलती रही तथा इस खेल में जिनकी भूमिका है वहां कार्रवाई के डर से बचने का प्रयास करनेे में पूरी ताकत सेे दिनभर लगे रहे है । अभी लोकायुक्त के द्वारा क्षेत्र के नाकेदार ,डिप्टी रेंजर और रेंजर की भूमिका को संदेह में लेकर जांच की जा रही है इन सबक इस कांड में कितनी भूमिका है उस ्की सही जांच लोकायुक्त द्वारा की गई तो कई बड़े ऐसे चेहरों के नाम भी सामने आ सकते हैं। जिनके द्वारा वन द्वार में वन विभाग में नौकरी के नाम पर कई किसानों से लाखों रुपए की राशि वनसपदा को नष्ट करवा कर लाखों की संपत्ति बनाने का काम किया गया है, साथ ही इनकी संपत्ति की जांच पड़ताल भी बारीकी से कराई जाए तो इनके चेहरे भी बेनकाब हो सकते है बमोरी साला के किसान राजेंद्र सिंह राजपूत की शिकायत पर लोकायुक्त की टीम ने दलाल ब्रज भूषण शर्मा को 60000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा है
उक्त राशि क्षेत्र के नाकेदार ने ट्रैक्टर पंजा छोडऩे के बदले में दलाल को दिलवाई थी जिसकी शिकायत किसान ने लोकायुक्त से की थी दलाल को इस कार्रवाई की भनक नहीं थी जिसकी वजह से वहां राशि लेने के लिए शिकायतकर्ता की जाल में फस गया ।अब देखना है कि लोकायुक्त ने जिस दलाल को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है यदि उसे बारीकी से पूछताछ की जाती है तो कई नाकेदार डिप्टी रेंजर और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के खेल की पोल खोल सकती है। क्योंकि अधिकांश कर्मचारी अधिकारियों के द्वारा सुबह से लेकर शाम तक भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए ही काम किया जाता है, कई जगह खेती से लेकर वनसपदा को नष्ट करवाने के लिए पैसे लिए जाते है खाली पड़ी है या उस पर जंगल खड़ा हुआ है उसको नष्ट करवा कर खेती करवाने के लिए भी कई लोगों को जमीन देकर हर साल लाखों रुपए की राशि इन लोगों से लेकर भ्रष्टाचार के खेल को अंजाम दिया जा रहा है। इसकी वजह से क्षेत्र में कहने के लिए तो बन बिभाग की जमीन 5000 बीघा के करीब है पर आज वन विभाग के कब्जे में 1000 बीघा जमीन नहीं बची है। जंगल के नाम पर केवल कुछ स्थान बचे हैं जहां पर उंगलियों पर गिनने वाले पेड़ बचे हुए जगह जगह खेती हो रही है इसकी जानकारी होने के बाद भी अधिक कार्यवाही कार्रवाई करने की जगह पर हर साल मोटी रकम लेकर पूरे क्षेत्र में बड़े स्तर पर इस खेल को अंजाम दिया जा रहा है । जिन अधिकारी कर्मचारियों के द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है उनकी पोल खोलने के लिए लोकायुक्त को इनकी संपत्तियों की जांच करनी होंगी।
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