डूंगरपुर: राजस्थान में भीषण गर्मी की अपना कहर बरपा रही है. गर्म हवा के थपेड़ों से हर कोई परेशान है. तापमान 46 डिग्री से पार पहुंच चुका है. गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि राज्य के जीव-जंतु दम तोडने लगे हैं. राज्य के डूंगरपुर में तेज धूप व लू से झुलसकर चमगादड़ों की मौतें हो रही हैं. शहर के राजकीय पुस्तकालय में पेड़ों पर बसेरा डाले करीब 300 चमगादड़ों की गर्मी से मौत हो गई है. वहीं इतनी ज्यादा संख्या में चमगादड़ों के शव सड़ने से संक्रमण फैलने की आशंका भी बनी हुई है. शहर के आवारा कुत्तों द्वारा मरे हुए चमगादड़ों को खाना बनाया जा रहा है.
गर्मी का आलम यह है कि पेड़ पर लटके चमगादड़ की मौत हो जा रही है. डूंगरपुर शहर के राजकीय पुस्तकालय में पेड़ों पर बसेरा डाले हुए चमगादड़ों की पिछले 5 दिनों से तापमान बढ़ने से लगातार मौतें हो रही हैं. यहां के पेड़ों के नीचे और आस-पास के क्षेत्र में चमगादड़ों के शव इधर-उधर पड़े हुए हैं. इनकी संख्या करीब 300 के पास पहुंच चुकी है. शवों के सड़ने से आस-पास के इलाकों में काफी दुर्गंध फैल रही है. इतनी ज्यादा संख्या में चमगादड़ों के शव सड़ने से यहां के लोगों के बीच संक्रमण फैलने की चिंता बढ़ गई है. रियासतकालीन राजकीय पुस्तकालय में 15 से 20 पुराने पेड़ हैं. इन पेड़ों पर सालों से सैकड़ों चमगादड़ों का बसेरा है.
वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मियों में जब तापमान 45 डिग्री को पार जाने लगता है तथा हवाएं काफी गर्म हो जाती हैं. इतनी ज्यादा गर्मी न बर्दाश्त कर पाने के कारण पेड़ों पर उल्टा लटकर बसेरा डालने वाले चमगादड़ों की मौत हो जाती है. चमगादड़ों की मौत के पीछे की वजह है उनका पानी कम पीना. चमगादड़ सुबह और शाम को ही पानी पीते हैं, दिन में पेड़ पर लटकर आराम करते हैं. दो दर्जन प्रजातियों में से यही इकलौती ऐसी प्रजाति है जो फल सब्जी खाती है तथा अपने भारी शरीर के कारण खुले में रहती है. अन्य प्रजातियां पेड़ों के कोटर, गुफा आदि ऐसे स्थानों पर छिपकर रहती है, जहां ठंडक रहती हो.
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