नई दिल्ली (New Dehli) । इसरो (ISRO)के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 (Moon Mission Chandrayaan-3)ने चार महीने पहले चांद के दक्षिणी ध्रुव (south pole)पर सफलतापूर्वक लैंड करके इतिहास (History)रच दिया था। इसके बाद 14 दिनों तक चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर चहलकदमी की और तमाम ऐसी जानकारियां इकट्ठी कीं, जिसके बारे में दुनियाभर को पहले नहीं मालूम था। अब चंद्रयान-3 मिशन की सफलता मिलने के बाद इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बड़ी खुशखबरी देते हुए बता दिया है कि इसरो के पास 2047 तक का रोडमैप पूरी तरह से तैयार है।
आईआईटी बॉम्बे में टेकफेस्ट को संबोधित करते हुए इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा, “…चंद्रयान-3 की सफलता के बाद, आने वाले 25 वर्षों में इसरो के लिए आगे क्या होगा, इसकी भारी मांग है। हमारे पास इसके लिए एक रोडमैप है। हमने 2047 तक की योजना बनाई है… हम एक अंतरिक्ष स्टेशन बना सकते हैं, हम मनुष्यों को चंद्रमा पर भेज सकते हैं, और हम अंतरिक्ष में चंद्रमा-आधारित आर्थिक गतिविधि बना सकते हैं।
चंद्रयान-3 की सफलता के महीनों बाद, सोमनाथ ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी 2040 की शुरुआत में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजेगी। इसरो गगनयान परियोजना पर भी काम कर रहा है, जिसके तहत अंतरिक्ष एजेंसी तीन मनुष्यों को 400 किमी की कक्षा में भेजेगी और समुद्र में उतारकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाएगी। इस मिशन के 2025 में लॉन्च होने की उम्मीद है।
इस महीने की शुरुआत में, सोमनाथ ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए पर्यावरण नियंत्रण और जीवन समर्थन प्रणाली (ईसीएलएसएस) को अन्य देशों से प्राप्त करने में विफल रहने के बाद स्वदेशी रूप से विकसित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा था कि हमारे पास पर्यावरण नियंत्रण जीवन समर्थन प्रणाली विकसित करने का कोई अनुभव नहीं है। हम केवल रॉकेट और उपग्रह डिजाइन कर रहे थे। हमने सोचा था कि यह ज्ञान अन्य देशों से आएगा, लेकिन दुर्भाग्य से, इतनी चर्चा के बाद, कोई भी इसे हमें देने को तैयार नहीं है। सोमनाथ ने कहा, ”इसरो ने अब स्वदेशी रूप से ईसीएलएसएस विकसित करने का फैसला किया है। हम अपने पास मौजूद ज्ञान और अपने पास मौजूद उद्योगों का उपयोग करके इसे भारत में विकसित करने जा रहे हैं।
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