लखनऊ। यूपी में कमजोर होती मायातवी की पार्टी बसपा का सभी दल फायदा उठाना चाहते हैं। बीजेपी, सपा-रालोद और भीम आर्मी प्रमुख अभी तक बसपा कैडर को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिशें करते नजर आ रहे थे। अब कांग्रेस पार्टी भी खुलकर दलित मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश करती नजर आ रही है। बिहार में हुए कास्ट सर्वे के बाद अन्य राज्यों से भी यह मांग की जा रही है, ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने यूपी में दलितों को आकर्षित करने का प्रोग्राम बनाया है।
कांग्रेस पार्टी यूपी में ‘दलित गौरव संवाद’ करने जा रही है, जिसका केंद्र बिंदु बीएसपी के संस्थापक कांशीराम हैं। कांग्रेस पार्टी 9 अक्टूबर को बीएसपी के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर अपना यह कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। कांग्रेस का दावा है कि इसका मकसद कांशीराम की विचारधारा को बढ़ाना है। कांग्रेस का यह कार्यक्रम करीब डेढ़ महीने तक चलेगा।
कांग्रेस पार्टी के नेताओं के मुताबिक, इस कार्यक्रम का आगाज बाराबंकी से होगा। कांशीराम देश के दलितों के आइकन हैं और उन्हें सिर्फ एक पार्टी तक सीमित नहीं किया जा सकता। कांग्रेस के प्रोग्राम के मुताबिक, करीब दो लाख दलित सदस्यों को दलिता अधिकार पत्र दिए जाएंगे और उनसे उनकी 5 मांगें पूछी जाएंगी। इसके अलावा हर विधानसभा क्षेत्र में 1 लाख “प्रभावशाली” दलितों की पहचान और उनसे संपर्क किया जाएगा।
लोकसभा चुनाव में फायदा लेना कांग्रेस का मकसद
कांग्रेस के दलित गौरव संवाद कार्यक्रम के अनुसार, दलित समुदाय के लोगों के साथ उनके एरिया में कांग्रेस सदस्य 10 रात्रि चौपाल करेंगे और उनके मुद्दे जानेंगे। कांग्रेस कार्यकर्ता इस कार्यक्रम के तहत 18 संभागों में पद यात्रा निकालेंगे और हर लोकसभा सीट पर 80 कोर ग्रुप बनाएंगे। इस पूरे कार्यक्रम का एक मकसद कांशीराम की विचारधारा को बढ़ावा देना बताया जा रहा है। कांग्रेस के इस कार्यक्रम का समापन 26 नवंबर संविधान दिवस के दिन होगा।
गौर करने वाली बात यह है कि मायावती ने इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों ही समूहों से दूरी बनाई हुई है, हालांकि एंटी बीजेपी दलों का मानना है कि वो बाद में उनके साथ आ जएंगी। इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने ‘जितनी आबादी, उतना हक’ की बात कही थी। यह कांशीराम द्वारा दलितों को दिए गए नारे – ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ से काफी मिलता जुलता है।
‘राहुल कांशीराम की विचारधारा के बारे में बात करते हैं’
यूपी में अपने कार्यक्रम के आगाज से पहले कांग्रेस पार्टी गुरुवार को अपने सीनियर दलित नेताओं के साथ एक मीटिंग कर रही है, जहां इस प्रोग्राम की डिटेल्स शेयर की जाएंगी। यूपी कांग्रेस के संगठन सचिव अनिल यादव ने कहा कि कांशीराम बहुजन मूवमेंट के एक बहुत बड़े नेता थे। वह किसी एक पार्टी विशेष से भी बड़े प्रतीक हैं। हमारे नेता राहुल गांधी अक्सर उनकी विचारधारा के बारे में बात करते हैं… हम कांशीराम की विचारधारा, दलितों के मुद्दों और उनके अधिकारों पर चर्चा करेंगे।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जिन प्रभावशाली दलितों से संपर्क साधा जाएगा उनमें डॉक्टर, इंजीनियर, ग्राम प्रधान, प्रोफेशनल्स, बुद्धिजीवी और शिक्षक आदि शामिल हैं, ताकि समुदाय को प्रभावित करने वाले मुद्दों का अंदाजा लगाया जा सके। इनसे बातचीत के आधार पर गठित कोर ग्रुप 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों का मार्गदर्शन करेंगे।
यूपी में कभी कांग्रेस को वोट करते थे दलित
यूपी में दलित कभी कांग्रेस पार्टी का कोर वोट बैंक हुआ करते थे। इनके अलावा ब्राह्मण भी उनके साथ थे। समय के साथ दलित वोट कांग्रेस के हाथ से छिटक गया और मायावती के नेतृत्व में बीएसपी दलितों की पहचान बन गई। नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में उदय के साथ ही बीजेपी ने दलित वोटों में सेंधमारी की है और इस वजह से मायावती कमजोर भी हुई हैं। मायावती के बचे हुए कैडर को साधने के लिए इस साल की शुरुआत में अखिलेश यादव ने इस साल की शुरुआत में 15 मार्च को सपा कार्यालय पर कांशीराम की जयंती मनाई थी। उन्होंने रायबरेली में भी बीएसपी संस्थापक की एक प्रतिमा का अनावरण किया था।
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