भोपाल। बिना जनप्रतिनिधियों के बीते 9 जनवरी 2020 से चल रही नगर निगम परिषद को जल्द ही नई नगर सरकार मिल जाएगी। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होने वाले हैं। महापौर पद के लिए आरक्षण होने के साथ ही दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। इस बार भोपाल महापौर की सीट ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हुई है। आरक्षण होते ही महिला नेत्रियों एवं नेताओं ने अपनी पत्नियों की दावेदारी जताना भी शुरू कर दी है। पिछले चुनाव में भाजपा ने 16 निगमों में से सभी पर जीत हासिल की थी। वहीं, प्रदेश में सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस निकाय चुनावों में जीत दर्ज कर साख बचाने की जुगत में है। दोनों दलों की ओर से दावेदार दिनभर आरक्षण प्रक्रिया पर नजर जमाए रहे। आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होते ही उन्होंने अपने नेताओं से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी है। पार्टी फोरम पर भी जातीय समीकरणों के हिसाब से अपना पक्ष मजबूती से रखने की जमावट कर दी है।
भोपाल में कृष्णा-विभा संभावित प्रत्याशी
85 वार्ड के भोपाल नगर निगम में 10 साल से भाजपा का कब्जा है। दोनों पार्टियों के पास कोई बड़ा ओबीसी चेहरा नहीं है। ऐसे में यहां भाजपा अपनी स्ट्रेटेजी के तहत कोई नया चेहरा लाकर वोट बटोरने का प्लान बना रही है। हालांकि विधायक और पूर्व महापौर कृष्णा गौर के नाम पर विचार किया जा सकता है। या फिर कोई नया चेहरा उतारे। इधर, कांग्रेस के पास पूर्व महापौर विभा पटेल से बड़ा महिला ओबीसी चेहरा नहीं है। साथ ही सरकार जाने के बाद पार्टी में छाई निराशा में उसे उम्मीदवार ढूंढऩा मुश्किल हो सकता है।
इंदौर में मेंदोला-शुक्ला मजबूत
इंदौर में 20 साल से भाजपा का कब्जा है। यहां 85 वार्ड हैं। कांग्रेस के आखिरी महापौर 1995 में मधुकर वर्मा बने थे। 2000 के बाद से भाजपा ने कभी पलटकर नहीं देखा। पिछली बार मालिनी गौड़ मेयर बनीं। अब सीट अनारक्षित हो जाने से बड़े चेहरों को मौका मिलेगा। भाजपा के पास रमेश मेंदोला सबसे बड़ा चेहरा हो सकते हैं क्योंकि वे लगातार बड़े अंतर से विधायक का चुनाव जीते लेकिन मंत्री नहीं बनाया गया। सांवेर उपचुनाव भी वे जिता लाए, ऐसे में पार्टी उन्हें मेयर चुनाव लड़ाकर तोहफा दे सकती है। कांग्रेस के पास चेहरे का संकट है, ऐसे में विधायक संजय शुक्ला का नाम सबसे आगे है।
दोनों दलों की है तैयारी
निकाय चुनावों के लिए प्रत्याशी चयन के लिए भाजपा ने चयन समिति बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने भी अपना वार रूम शुरू कर दिया है। भाजपा प्रदेश सरकार की जनहितैषी नीतियों को लेकर मैदान में उतरेगी तो कांग्रेस अपने 15 महीने के कार्यकाल को लेकर वोट मांगेगी। मालूम हो, प्रदेश में 407 नगरीय निकाय हैं। इनमें 16 नगर निगम, 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषद हैं।
जबलपुर में पूर्व मंत्री भनोट के भाई और डॉ. जामेदार बड़े दावेदार
79 वार्डों वाले जबलपुर नगर निगम में भाजपा पिछले तीन चुनाव जीतती आ रही है। कांग्रेस के आखिरी महापौर विश्वनाथ दुबे थे। आरक्षण के बाद कांग्रेस की ओर से पूर्व वित्त मंंत्री तरुण भनोट अपने भाई गौरव के लिए लॉबिंग कर सकते हैं। पूर्व पार्षद संजय राठौर, जगत बहादुर उर्फ अन्नू, नेता प्रतिपक्ष रहे राजेश सोनकर, कांग्रेस के नगराध्यक्ष दिनेश यादव दौड़ में आ गए हैं। भाजपा की तरफ से रेस में सबसे आगे डॉक्टर जितेंद्र जामदार हैं। वे मुख्यमंत्री की नर्मदा संकल्प यात्रा के प्रभारी रह चुके हैं। एमआईसी के पूर्व सदस्य कमलेश अग्रवाल, श्रीराम शुक्ला भी दावेदार हैं।
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