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    छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद से MP में कांग्रेस लगातार हुई कमजोर, 2004 में मिलीं सिर्फ 4 सीटें

  • April 10, 2024

    नई दिल्ली (New Delhi)। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) से अलग होने के बाद हुए अब तक के चार आम चुनावों में केवल 2009 में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) ने 12 सीटें जीती हैं। राज्य विभाजन के बाद उसका यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के अलग होने के बाद हुए पहले आम चुनाव (First general election.) में कांग्रेस ने 145 सीटें जीतकर केंद्र में सरकार बना ली थी, लेकिन तब उसे मध्य प्रदेश में महज चार सीटों से ही संतोष करना पड़ा। पार्टी के उम्मीदवार केवल गुना, छिंदवाड़ा, ग्वालियर व झाबुआ में ही जीत पाए थे।


    मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। नवंबर, 2000 में मध्य प्रदेश से अलग कर छत्तीसगढ़ का गठन हुआ। तब से अब तक चार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस अपने कुल 19 प्रत्याशियों को ही संसद की दहलीज तक पहुंचा पाई है। दरअसल, अविभाजित मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़ अंचल में कांग्रेस की स्थिति शुरुआत से ही अच्छी थी। लेकिन, शेष मध्य प्रदेश में पार्टी की स्थिति उतनी अच्छी नहीं रही। ऐसे में 2004 के आम चुनावों में कांग्रेस को यहां से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। 2009 में 12 सीटों के साथ कांग्रेस ने अच्छी वापसी की, लेकिन 2014 की मोदी लहर में एक-एक कर उसके सभी सूरमा चुनाव हार गए और छिंदवाड़ा से कमलनाथ और गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया ही केवल अपनी सीट बचा सके। 2019 में स्थिति और बिगड़ गई जब छिंदवाड़ा को छोड़कर सभी 28 सीटों पर कांग्रेस को भाजपा से हार का सामना करना पड़ा।

    पिछले पांच चुनावों में विंध्य से सिर्फ शहडोल में मिली जीत
    मध्य प्रदेश में भी रीवा, सतना, सीधी व शहडोल समेत चार लोकसभा सीटों वाला विंध्य क्षेत्र भाजपा का ऐसा किला है, जिसमें कांग्रेस पूरी कोशिश के बाद भी सेंध नहीं लगा सकी है। विंध्य में भाजपा की मजबूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच आम चुनावों में से सिर्फ शहडोल एकमात्र सीट रही है, जहां 2009 में कांग्रेस के टिकट पर राजेश नंदिनी सिंह जीतने में सफल रही थीं।

    19 अप्रैल को पहले चरण में सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट व छिंदवाड़ा की सीटों पर मतदान होगा। इन सीटों में छिंदवाड़ा को छोड़कर बाकी सभी जगह कांग्रेस को कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।

    होशंगाबाद से जीते उदय प्रताप अब भाजपा में
    26 अप्रैल को दूसरे चरण में भी छह सीटों पर मतदान होगा। इनमें होशंगाबाद एकमात्र सीट है जहां 2009 में उदय प्रताप सिंह कांग्रेस की तरफ से जीतने में सफल रहे थे। हालांकि, वह अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं और मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।

    2004 से 2019 तक कांग्रेस से ये बने सांसद
    गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया (2004,2009,2014), छिंदवाड़ा से कमलनाथ (2004,2009,2014) व नकुलनाथ (2019), ग्वालियर से रामसेवक सिंह (2009), झाबुआ से कांतिलाल भूरिया (2004), शहडोल से राजेश नंदिनी सिंह (2009), मंडला से बसोरी सिंह मसराम (2009), होशंगाबाद से उदय प्रताप सिंह (2009), राजगढ़ से नारायण सिंह (2009), देवास से सज्जन सिंह वर्मा (2009), उज्जैन से प्रेमचंद गुड्डू (2009), मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन (2009), रतलाम से कांतिलाल भूरिया (2009), धार से गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी (2009) व खंडवा से अरुण यादव (2009)

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