नई दिल्ली: वैश्विक मंदी के आसार के बीच कई भारतीय यूनिकॉर्न स्टार्टअप (Unicorn Startup) कंपनियां ने कर्मचारियों को तगड़ा झटका दिया है. साल 2023 की शुरुआत के साथ ही स्टार्टअप कंपनियां फंडिंग (Startup Funding Winter) की कमी से जूझ रही है.
ऐसे में अपने खर्च में कटौती करने के लिए इन कंपनियों ने बड़ा फैसला किया है. दिनभर की 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियों अपने अप्रेजल बजट 2023 में भारी (Startup Companies Appraisals Budget) कटौती की है. ऐसे में कर्मचारियों को छंटनी के बाद अप्रेजल में भी कमी का सामना करना पड़ेगा.
10 से 3 यूनिकॉर्न ने रखा जीरो अप्रेजल बजट
मनीकंट्रोल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 10 में लगभग 3 यूनिकॉर्न ने वेतन बढ़ोतरी के लिए न्यूनतम से लेकर शून्य बजट रखा है. वहीं साल 2022 की बात करें तो अप्रेजल बजट कुल सैलरी का 12.1 फीसदी हिस्सा था जो अब गिरकर 7.7 फीसदी तक पहुंच गया है.
ऐसे में कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के बजट में पिछले साल के मुकाबले भारी कटौती की है. ज्यादातर कंपनियों या तो अपने अप्रेजल को 2 से 3 महीना देर कर दिया है या इसे नहीं देने का फैसला किया है.
बड़ी कंपनियां भी कर रही वेतन वृद्धि में कटौती
ध्यान देने वाली बात ये है कि यह कटौती केवल स्टार्टअप कंपनियों तक ही सीमित नहीं है. पांच दिग्गज भारतीय कंपनियों ने भी न्यूनतम से लेकर शून्य अप्रेजल देने का फैसला किया है. इस निर्णय के बाद कर्मचारियों की सैलरी की औसत वृद्धि दर साल 2022 में 12.4 फीसदी के मुकाबले केवल 8.2 फीसदी रह गई है.
कोरोना काल में स्टार्टअप कंपनियों ने जरूरत से ज्यादा हायरिंग कर ली थी. इसके बाद वैश्विक मंदी की आहट के कारण कई निवेशकों ने स्टार्टअप में निवेश से हाथ पीछे खींच लिए. इसके कारण स्टार्टअप फंडिंग में भारी गिरावट दर्ज की गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 में कई स्टार्टअप कंपनियों ने देशभर में 25,000 से अधिक कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है.
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