नई दिल्ली। पिछले सप्ताह नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद 10 सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.34 अरब डॉलर कम होकर 641.113 अरब डॉलर पर पहुंच गया। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है।
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले तीन सितंबर 2021 को समाप्त सप्ताह में इसमें 8.895 अरब डॉलर की तेजी आई थी और यह 642.453 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट विदेशी मुद्रा संपत्तियां (एफसीए) में कमी से आई है। एफसीए 93.4 करोड़ डॉलर घटकर 578.879 अरब डॉलर रह गईं। विदेशी मुद्रा संपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है।
इस दौरान देश का स्वर्ण भंडार 41.3 करोड़ डॉलर कम हुआ और 37.669 अरब डॉलर पर पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास मौजूद देश का आरक्षित भंडार 50 लाख डॉलर बढ़कर 5.127 अरब डॉलर रह गया। आलोच्य सप्ताह में भारत की एसडीआर हिस्सेदारी 10 लाख डॉलर बढ़कर 19.438 अरब डॉलर पर पहुंच गई।
मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) अपने सदस्यों को बहुपक्षीय ऋण देने वाली एजेंसी में उनके मौजूदा कोटा के अनुपात में सामान्य एसडीआर का आवंटन करता है। विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
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