ईटानगर। लद्दाख में भारत से मुंह की खाने के बाद चीन अब अरुणाचल प्रदेश इलाके में नया फ्रंट खोलने की तैयारी कर रहा है। ऐसी रिपोर्ट है कि अरुणाचल प्रदेश में चीन से जुड़ी सीमा के नजदीक रहने वाले ग्रामीणों ने अपने गांव को खाली कर दिया है। चीन पहले से ही अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है। ऐसे में इस इलाके में चीन के किसी चाल से इनकार नहीं किया जा सकता। दो दिन पहले ही चीनी दूतावास ने अरुणाचल बॉर्डर से गायब हुए भारतीय नागरिकों पर जवाब देते हुए इस प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था।
तवांग के एक हिस्से पर चीन का कब्जा
पूर्वोत्तर की ईस्टमोजो वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में जीमथांग सर्कल से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित तकासांग गांव को हाल ही में ग्रामीणों ने खाली कर दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1986 के आस पास चीनी सेना ने तवांग के जीमथांग वैली पर अपना नियंत्रण जमा लिया था।
भारत ने तब दर्ज करवाया था आधिकारिक विरोध
26 जून 1986 को इस इलाके में चीनी सैनिकों के कब्जे के खिलाफ भारत ने चीनी सरकार के सामने औपचारिक विरोध भी दर्ज करवाया था। हालांकि, पहले की तरह ही चीनी सरकार ने ऐसे किसी भी घुसपैठ को खारिज कर दिया था। चीन ने कहा था कि उसके सैनिक मैकमोहन रेखा के उत्तर में ही मौजूद हैं।
चीन का दावा- अरुणाचल हमारा है
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी सेक्टर या झांगनान (चीन के झिजांग (तिब्बत) का दक्षिणी हिस्सा) पर चीन का रूख एक जैसा और स्पष्ट रहा है। उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा था कि चीन सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी।
चीन ने अरुणाचल से अगवा किए 5 भारतीय
पिछले शुक्रवार को चीनी सेना ने बंदूक के दम पर 5 भारतीय नागरिकों को अगवा कर लिया था। भारत के बार-बार पूछे जाने पर भी चीन की सरकार और सेना ने इन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखे जाने के इनकार किया था। इस इलाके में रहने वाले ग्रामीणों ने दावा किया था कि ये पांचो युवक भारतीय सेना के लिए पोर्टर का काम करते थे। 7 सितंबर को चीनी सेना ने यह स्वीकार किया कि ये युवक उनकी हिरासत में हैं और उन्हें भारत को लौटाया जा रहा है।
लद्दाख में सीमाई क्षेत्र में मई से जारी तनातनी अब चरम पर पहुंचने लगी है। दोनों तरफ की सेनाएं भारी हथियारों के साथ एक दूसरे के सामने डटी हुई हैं। 15 जून को गलवान घाटी में चीन ने भारतीय सेना के साथ हाथापाई की थी। जिसके बाद 29-30 अगस्त की रात को भी पैंगोंग के दक्षिणी इलाके में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प हुई। सोमवार को भी चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों पर गोलियां चलाई थी।
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