नई दिल्ली (New Dehli) । सालभर (throughout the year) में वेज थाली 24% और नॉन-वेज थाली (Non-Veg Thali) 13% तक महंगी (expensive) हो गई है. अगस्त में वेज थाली की लागत 33.8 रुपये और नॉन-वेज थाली की लागत 67.3 रुपये है. लेकिन ये खाना आखिर महंगा कैसे हुआ? इसका आपकी जेब पर क्या असर पड़ रहा है? समझते हैं…
वेज थाली 24 फीसदी तक महंगी हो गई है. वेज थाली 24 फीसदी तक महंगी हो गई है. प्रतीकात्मक महंगाई एक ऐसी ‘डायन’ है, जो इंसान की खुशियां खा जाती है. और अब इस महंगाई ने तो इंसानों का खाना खाना तक महंगा कर दिया है. उसमें भी वेज खाने वालों की तो जेब और बुरी कट रही है.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में थाली का गणित बताया गया है. इसके मुताबिक, एक साल में वेज थाली 24% और नॉन-वेज थाली 13% तक महंगी हो गई है.
क्रिसिल ने अगस्त 2023 और अगस्त 2022 में खाने-पीने की चीजों की कीमतों के आधार पर वेज और नॉन-वेज थाली की लागत का अनुमान लगाया है. इसके मुताबिक, वेज थाली की लागत 33.8 रुपये और नॉन-वेज थाली की लागत 67.3 रुपये है. जबकि, पिछले साल अगस्त महीने में वेज थाली 27.2 रुपये और नॉन-वेज थाली 59.8 रुपये की थी.
हालांकि, रिपोर्ट ये भी बताती है कि जुलाई के मुकाबले अगस्त में थाली की लागत में मामूली कमी भी आई है. जुलाई में वेज थाली की लागत 34 रुपये और नॉन-वेज की लागत 67.6 रुपये थी.
इतनी महंगी कैसे हो गई थाली?
महंगाई बढ़ रही है तो जाहिर है खाना-पीना भी महंगा होगा. सालभर में टमाटर, प्याज, ब्रॉयलर की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हैं. इस वजह से वेज और नॉन-वेज थाली की लागत बढ़ गई है.
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक साल में टमाटर के दाम 176% बढ़ गए हैं. पिछले साल एक किलो टमाटर की कीमत 37 रुपये थी, जो अब 102 रुपये हो गई है. इसी तरह प्याज के दाम 8%, मिर्ची के 20% और जीरे के 158% तक बढ़ गए हैं.
वेज थाली की तुलना में नॉन-वेज थाली की लागत उतनी ज्यादा नहीं बढ़ी है. क्योंकि, ब्रॉयलर की कीमत सालाना दर से 1 से 3% ही बढ़ी है.
राहत की बात ये है कि एक साल में वनस्पति तेल की कीमत 17% और आलू की 14% तक कम हुई है. इस वजह से थाली की लागत बहुत ज्यादा नहीं बढ़ सकी. अगर इनके दाम भी बढ़ते तो थाली और महंगी हो जाती.
कैसे कट रही है आपकी जेब?
– वेज फैमिली कीः मान लीजिए कि एक घर में चार लोग हैं. एक बार की थाली की लागत 33.8 रुपये है. रोज दो बार खाना बनता ही बनता है. इस हिसाब से अब हर दिन खाने पर 270.4 रुपये खर्च हो रहे हैं. जबकि, एक साल पहले 217.6 रुपये का खर्च आता था. यानी, सालभर में वेज थाली में 52.8 रुपये का खर्चा बढ़ गया है. अब महीनेभर में चार लोगों के परिवार के खाने पर अब 8,112 रुपये खर्च होते हैं.
– नॉन-वेज फैमिली कीः एक बार की थाली पर अब 67.3 रुपये खर्च होते हैं. चार लोगों के परिवार में दो बार के खाने पर 538.4 रुपये खर्च हो रहे हैं. जबकि, एक साल पहले 488 रुपये का खर्च आता था. इस हिसाब से एक साल में नॉन-वेज थाली 50.4 रुपये महंगी हो गई है. यानी, एक महीने में चार लोगों के परिवार के खाने पर अब 16,152 रुपये खर्च होते हैं.
महंगाई की वजह से हेल्दी डाइट नहीं ले रहे भारतीय
पिछले साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में 70% से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें हेल्दी डाइट नहीं मिल पा रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 के आखिर तक दुनियाभर में 307.42 करोड़ लोग ऐसे थे, जिन्हें हेल्दी डाइट नहीं मिल रही थी. जबकि, भारत में ये संख्या 97.33 करोड़ थी.
इसमें ये भी बताया गया था कि भारत में एक दिन एक व्यक्ति हेल्दी डाइट लेता है, तो उसे इसके लिए 2.9 डॉलर यानी 235 रुपये से ज्यादा खर्च करना होगा. इस हिसाब से हर दिन हेल्दी डाइट लेने के लिए हर व्यक्ति पर हर महीने 7 हजार रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा. ये बताता है कि महंगा खाना होने की वजह से लोग हेल्दी डाइट नहीं ले पा रहे हैं.
हेल्दी डाइट नहीं मिलने से कुपोषितों की संख्या भी बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 15 साल में कुपोषित लोगों की संख्या कम तो जरूर हुई है, लेकिन दुनिया में कुपोषित भारतीयों की संख्या बढ़ गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2004-06 में 24.78 करोड़ लोग कुपोषित थे, जिनकी संख्या 2019-21 में घटकर 22. 43 करोड़ हो गई. लेकिन 2004-06 में दुनियाभर के कुल कुपोषितों में 31% भारतीय थे, जबकि 2019-21 में भारतीयों की संख्या बढ़कर 32% हो गई
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