कोलकाता : पश्चिम बंगाल (West Bengal) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि उसके अखिल भारतीय उपाध्यक्ष और विधायक मुकुल रॉय (Mukul Roy) एक बार फिर से घर वापसी करते हुए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए हैं. तृणमूल छोड़कर भगवा ब्रिगेड में शामिल होने के लगभग चार साल बाद रॉय शुक्रवार को अपने बेटे सुभ्रांशु रॉय के साथ एक बार फिर से तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं.
रॉय को वापस पार्टी में शामिल करने के लिए बैठक के दौरान तृणमूल भवन में मौजूद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि और अधिक लोग भाजपा से बाहर निकलेंगे और तृणमूल कांग्रेस में शामिल होंगे. रॉय और उनके बेटे की तृणमूल में वापसी पर अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उनका स्वागत किया. इस अवसर पर ममता बनर्जी ने कहा, मुकुल (रॉय) हमारे पुराने सदस्य हैं और वह अब वापस आ गए हैं.
वह भाजपा में अच्छी स्थिति में नहीं थे क्योंकि भगवा पार्टी ने एजेंसियों के माध्यम से उन पर दबाव बनाया था, परिणामस्वरूप वह मानसिक तौर पर शांत नहीं थे. मैं देख रही हूं कि उनकी तबीयत भी खराब हो गई थी, क्योंकि कोई भाजपा में नहीं रह सकता. यह एक हृदयहीन पार्टी है और कोई भी इंसान वहां नहीं रह सकता है. 2017 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने वाले रॉय ने कहा, मुझे फिर से परिचित लोगों के बीच होने का अच्छा अहसास हो रहा है. इसमें एक तरह का घरेलू माहौल है. मुझे विश्वास है कि हमारी नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल एक बार फिर शीर्ष पर पहुंचेगा.
यह पूछे जाने पर कि तृणमूल में उनकी वापसी क्यों हुई, पार्टी के पूर्व अखिल भारतीय महासचिव ने कहा, मैं फिर से भाजपा के लिए काम नहीं करूंगा, इसलिए मैं यहां वापस आ गया हूं. भाजपा में रहते हुए भी रॉय के साथ किसी भी तरह के मतभेद से इनकार करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, यहां तक क जब वह भाजपा में थे, तब भी उन्होंने मेरे या पार्टी के खिलाफ कभी कुछ नहीं कहा. वह हमेशा हमारी पार्टी के नेताओं के साथ अच्छे रहे हैं.
यहां तक कि जब चुनाव थे, तब भी वह हमारी पार्टी के बारे में चुप थे. यह संकेत देते हुए कि भाजपा के और नेताओं के तृणमूल में शामिल होने की संभावना है, मुख्यमंत्री ने कहा, तृणमूल शांत और सौम्य सभी लोगों का स्वागत करेगी. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने चुनाव से पहले पार्टी को धोखा दिया और तृणमूल नेताओं को बदनाम किया. वे विश्वासघाती हैं और पार्टी उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेगी. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने पर भगवा दल के नेताओं ने अलग-अलग प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि मुकुल रॉय की वजह से भाजपा को कुछ खास फायदा नहीं हुआ, इसलिए उनके जाने से न तो पार्टी को कोई फायदा होने वाला है, न नुकसान.
भाजपा नेता ने कहा कि हजारों भाजपा कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने घरों से बाहर हैं जो मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण हैं. इस बीच, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता जय प्रकाश मजूमदार ने राय को पुरानी पार्टी में उनकी नई पारी के लिए शुभकामनाएं दीं. हालांकि, बैरकपुर से भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने रॉय की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने और उनके बेटे ने हमेशा अपने निहित स्वार्थ के लिए राजनीति की है.
सिंह ने कहा, उन्होंने मीर जाफर की तरह व्यवहार किया, लेकिन मैं बिल्कुल भी हैरान नहीं हूं. मैंने कभी उन पर भरोसा नहीं किया. वह एक विश्वासघाती हैं और उन्होंने पार्टी में कोई योगदान नहीं दिया है. एक अन्य भाजपा नेता सिलभद्र दत्ता ने कहा, व्यक्तिगत रूप से मैं किसी राजनीतिक दल की पसंद पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि बार-बार पार्टी बदलने से लोगों के बीच अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि अधिकांश भाजपा नेताओं ने रॉय के इस कदम को नजरअंदाज करने का विकल्प चुना, लेकिन अंतिम क्षणों में उन्हें रोकने के प्रयास जरूर किए गए थे.
राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने राय को दोपहर 3 बजे तृणमूल भवन के लिए रवाना होने से पहले बुलाया था, लेकिन रॉय ने भगवा ब्रिगेड के साथ अपने सभी संबंधों को छोड़ने का फैसला किया और फोन नहीं उठाया. हाल ही में ऐसे संकेत मिले थे कि रॉय खेमा बदलने के लिए जा रहे हैं. यह तब स्पष्ट हुआ, जब अभिषेक बनर्जी कुछ दिन पहले एक निजी अस्पताल में उनकी बीमार पत्नी को देखने गए थे. दिलचस्प बात यह है कि न तो तृणमूल नेताओं और न ही रॉय ने कोई संकेत दिया था कि उनकी बातचीत शुक्रवार तक अंतिम चरण में पहुंच गई है और वह तृणमूल में वापसी करने जा रहे हैं.
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