नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि कई दशकों के बाद (After many Decades) देश की जनता (People of the Country) ने एक सरकार (A Government) को लगातार तीसरी बार सेवा करने का मौका दिया (Have given the opportunity to serve for the Third consecutive Time) ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देशवासियों के लिए प्रेरणा भी थी, प्रोत्साहन भी था और एक प्रकार से सत्य मार्ग को पुरस्कृत भी किया गया था। पिछले दो-ढाई दिनों में इस चर्चा में करीब 70 माननीय सांसदों ने अपने विचार रखे। इस चर्चा को समृद्ध बनाने के लिए राष्ट्रपति के अभिभाषण को व्याख्यायित करने में आप सभी माननीय सांसदों ने जो योगदान दिया है, इसके लिए मैं आप सबका भी आभार व्यक्त करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास और संसदीय लोकतंत्रिक यात्रा में कई दशकों के बाद देश की जनता ने एक सरकार को लगातार तीसरी बार सेवा करने का मौका दिया है। 10 साल के बाद किसी एक सरकार की लगातार फिर से वापसी हुई है और मैं जानता हूं कि भारत के लोकतंत्र में 6 दशक बाद हुई ये घटना असामान्य घटना है। कुछ लोग जानबूझकर इससे अपना मुंह फेर कर बैठे रहे, कुछ लोगों को समझ नहीं आया और जिनको समझ आया उन्होंने हो-हल्ला कर देश की जनता के इस महत्वपूर्ण निर्णय पर छाया डालने की कोशिश की, लेकिन मैं पिछले दो दिन से देख रहा हूं कि आखिर पराजय भी स्वीकार हो रही है और दबे मन से विजय भी स्वीकार हो रही है।
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मैं कांग्रेस के कुछ साथियों को दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं। नतीजे आए तब से हमारे एक साथी की ओर से (हालांकि उनकी पार्टी उनका समर्थन नहीं कर रही थी) बार-बार ढोल पीटा गया था कि ये एक तिहाई सरकार है। इससे बड़ा सत्य क्या हो सकता है कि हमारे 10 साल हुए हैं, 20 और बाकी हैं। एक तिहाई हुआ है, दो तिहाई और बाकी है और इसलिए उनकी इस भविष्यवाणी के लिए उनके मुंह में घी शक्कर।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरे जैसे अनेक लोग हैं, जिनको बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के कारण यहां तक आने का अवसर मिला है। जनता-जनार्दन ने मुहर लगाई और तीसरी बार भी आने का अवसर मिला। जब लोकसभा में हमारी सरकार की तरफ से कहा गया कि हम 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे तो मैं हैरान हूं कि जो आज संविधान की प्रति लेकर घूमते रहते हैं, दुनिया में लहराते रहते हैं, उन्होंने विरोध किया था कि 26 जनवरी तो है, फिर संविधान दिवस क्यों लाएं?
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