नई दिल्ली: मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के बाद अब सर्विस सेक्टर के मोर्चे पर भी सरकार को झटका लगा है. प्राइवेट सर्वे के अनुसार भारत का सर्विस सेक्टर तीन महीने के लो पर पहुंच गया है. जबकि आउटपुट चार्ज में करीब 6 सालों में सबसे ज्यादा इजाफा देखने को मिला है. एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) पिछले महीने मई में 61.2 से गिरकर 58.5 पर आ गया.
मंगलवार के आंकड़ों से पता चला था कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मई में 58.7 से गिरकर जून में 57.8 पर आ गया. परिणामस्वरूप, भारत की ओवरऑल पीएमआई रीडिंग मई में 61.6 से घटकर जून में 59.4 पर आ गई. भारत की सर्विस पीएमआई रीडिंग लगभग दो वर्षों से ब्रेकईवन से ऊपर रही है, जो अगस्त 2011 के बाद सबसे लंबी अवधि है.
डिमांड इजाफा रहा जारी
इस सेक्टर में लगातार इजाफा जो कुल प्रोडक्शन का लगभग 60 फीसदी है, यह दर्शाता है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी आने वाली तिमाहियों में अपने कई दूसरी प्रमुख इकोनॉमी के मुकाबले आगे निकल जाएगी प्रमुख साथियों से आगे निकल जाएगी. एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पोलियाना डी लीमा ने कहा कि जून में भारतीय सर्विस की डिमांड में बढ़ोतरी जारी रही, सभी चार मॉनिटर किए गए सब सेक्टर्स में नए बिजनेस फ्लो में तेज वृद्धि देखने को मिली है.
न्यू बिजनेस सब इंडेक्स, जो ओवरऑल डिमांड का एक इंडिकेटर है, पिछले महीने 58.4 से बढ़कर 58.8 हो गया और सर्विस कंपनियों ने लगातार 13वें महीने नौकरियाें में इजाफा किया. बिजनेस इस वर्ष अब तक अपने हाइएस्ट लेवल पर देखने को मिला.
2017 के बाद सर्विस कंपनियों ने बढ़ाईं
हालांकि, स्लो ग्लोगल इकोनॉमी ने एक्सपोर्ट ग्रोथ को तीन महीने के लोअर लेवल पर लाकर खडा कर दिया है. इस बीच, इनपुट कॉस्ट महंगाई में कमी के बावजूद सर्विस कंपनियों ने जुलाई 2017 के बाद से सबसे तेज दर से कीमतें बढ़ाईं. डी लीमा ने कहा कि सर्विस प्रोवाइडर्स पर कॉस्ट प्रेशर ज्यादा देखने को मिला, फिर भी हाई फूड और सैलरी कॉस्ट के बीच बिजनेस एक्सपेंडिचर फिर से बढ़ गया. मैन्युफैक्चरिंग के साथ संयुक्त रूप से, प्राइवेट सेक्टर प्रोडक्शन की की कीमतें एक दशक से अधिक समय में सबसे तेज गति से बढ़ीं हैं.
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