नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में दस साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में सभी की निगाहें माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट (Mata Vaishno Devi Assembly Seat) पर लगी हैं. ये सीट अनुच्छेद-370 के बाद हुए परिसीमन से अस्तित्व में आई है. इससे पहले ये क्षेत्र रियासी सीट का हिस्सा था. माता वैष्णो देवी सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने पूरी ताकत झोंक रखी है. बीजेपी के लिए ये सीट इसीलिए अहम हो गई है, क्योंकि यह धार्मिक लिहाज से हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान है. अयोध्या और बद्रीनाथ जैसा सियासी हश्र बीजेपी का माता वैष्णो देवी की सीट पर न हो जाए, इसके लिए किसी तरह कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं है.
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या और नासिक जैसी धार्मिक नगरी वाली सीट जीत नहीं सकी. यही नहीं उपचुनाव में उत्तराखंड की बद्रीनाथ और हरिद्वार की मंगलोर सीट पर मिली हार से बीजेपी की काफी किरकिरी हुई थी. इतना ही नहीं प्रयागराज और चित्रकूट जैसी लोकसभा सीट बीजेपी हार गई थी. बीजेपी को अयोध्या में तब चुनावी मात खानी पड़ी, जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई थी. अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में मिली चुनावी शिकस्त से बीजेपी को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है. यही वजह है कि बीजेपी अब श्री माता वैष्णो देवी सीट किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहती है.
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के खत्म होने के बाद हुए परिसीमन से माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट अस्तित्व में आई है. पहले यह इलाका रियासी सीट में ही आता था. 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हराकर बीजेपी ने अपना कब्जा जमाया था. इसके बाद 2014 में भी बीजेपी जीतने में सफल रही. बीते 16 सालों से बीजेपी का ही वर्चस्व बना हुआ है. इसी दबदबे को बनाए रखने के लिए बीजेपी ने बलदेव राज शर्मा पर दांव खेला है तो कांग्रेस ने भूपेंद्र जामवाल को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है.
माता वैष्णो देवी के नाम से विधानसभा सीट बनवाने का श्रेय बीजेपी को जाता है. 2016 से वह इसे विधानसभा क्षेत्र बनाने को लेकर अच्छी खासी मेहनत की थी और आखिरकार मेहनत रंग लाई. कटरा में बनने वाले विश्व स्तरीय आईएमएस यानी कि इंटर मॉडल स्टेशन, दिल्ली-अमृतसर-कटरा सिक्स लेन कॉरिडोर और केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत प्रसाद परियोजना जिसके तहत करोड़ों रुपये की लागत से कटरा के समग्र विकास की दुहाई लेकर बीजेपी वोट मांग रही है. माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए यह सियासी मुफीद साबित हो सकता है.
हालांकि, बीजेपी के लिए सबसे बड़ी टेंशन मां वैष्णो देवी के पूर्व बारीदारों के हक की मांग है. 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उधमपुर में आयोजित रैली में बारिदरों को हक दिलवाने का वायदा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है. बारीदार मतदाता नतीजे को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं. बारीदार माता वैष्णो देवी को अपनी कुल देवी मानते हैं और कहते हैं कि श्रीधर उन्हीं के वंशज थे. श्रीधर को ही माता ने दर्शन दिए और त्रिकुट पर्वत पर बसने की बात बताई थी. इसके बाद से बारीदार माता की पूजा करते हैं.
फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट पर बीजेपी की हार की सबसे बड़ी वजह शहर में विकास कार्यों के लिए बड़ी संख्या में तोड़े गए मकान और जमीनों का उचित मुआवजा नहीं मिलना था. माना जाता है कि अयोध्या के लोगों ने इसी के चलते बीजेपी के खिलाफ वोट किए थे. ऐसी ही स्थिति श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट पर भी दिख रही है. बारीदारनाराज हैं और लंबे समय से अपने हक की मांग कर रहे हैं.
दरअसल, 1986 में 30 अगस्त को बारीदारों को गुफा से बाहर कर दिया गया और सारे अधिकार श्राइन बोर्ड को दे दिए थे. ऐसे में बारीदारों की मांग है कि गुफा में चढ़ावा का एक तिहाई हिस्सा बारीदारों को दिया जाए. इसके अलावा बारीदारों को श्राइन के हॉस्पिटल और कॉलेज में नौकरी दी जाए. पीएम मोदी ने बारीदारों को हक दिलाने की भरोसा दिया था, जो कि पूरा नहीं हो सका है.
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा मां वैष्णो देवी के नए ताराकोट मार्ग पर बनाए जा रहे रोपवे केबल कार परियोजना को लेकर मतदाता नाराज हैं. उन्हें यह चिंता सता रही है कि उनका सारा व्यापार इस परियोजना को लेकर बुरी तरह से प्रभावित हो गया है. कांग्रेस इसे मुद्दा बनाने में जुटी है और माता वैष्णो देवी सीट पर बारीदारों को साधने की कोशिश में है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में बारीदारों के मुद्दे के साथ ही केबल कार परियोजना का मुद्दा जोर-जोर से उठाया था.
माता वैष्णो देवी विधानसभा सीट पर कुल 74 हजार मतदाता हैं. इसमें से करीब 15 हजार बारीदार हैं. बारीदार संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्याम सिंह माता वैष्णो देवी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. इसके चलते मुकाबला काफी रोचक हो गया है. बारीदार वोटों बिखराव होता है तो फिर बीजेपी के लिए यह सीट जीतना आसान नहीं होगा, लेकिन पीएम मोदी ने माता के दर पर माथा टेककर सियासी समीकरण साधने का दांव चल दिया है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी माता वैष्णो देवी सीट पर जीत दर्ज कर पाएगी?
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