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लोकसभा के बाद वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा में भी पास, पक्ष में पड़े 128 वोट, कानून बनने से एक कदम दूर

  • April 04, 2025

    नई दिल्ली. वक्फ संशोधन बिल (Wakf Amendment Bill) 2025 लोकसभा (Loksabha) से पास होने के बाद अब राज्यसभा (Rajyasabha) से भी पारित (passed) हो गया है. बिल के पक्ष ((favour) )में 128 वोट पड़े जबकि 95 सदस्यों ने इसके विरोध में वोट दिया. वक्फ कानून बनने से बस एक कदम दूर (one step) है. अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, वहां से मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन जाएगा. राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा पूरी होने के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए. इस बिल से एक भी मुस्लिम का नुकसान नहीं होगा. करोड़ों मुसलमानों का फायदा होने वाला है.

    किरेन रिजिजू ने क्या कहा?
    राज्यसभा में वक्फ बिल पर चर्चा पूरी होने के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भरोसा दिलाया कि मुस्लिमों के धार्मिक कार्यकलापों में किसी तरह का हस्तक्षेप कोई गैर मुस्लिम नहीं करेगा. रिजिजू ने कहा, ‘आप चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड में बस मुस्लिम ही बैठे. हिंदू या किसी दूसरे धर्म के लोगों के साथ कोई विवाद होगा तो कैसे तय होगा. इस तरह की बॉडी जो है, वह सेक्यूलर होना चाहिए. इसमें चार लोग हैं तो वह निर्णय कैसे बदल सकते हैं. वह तो बस अपने एक्सपर्टाइज का उपयोग कर सकता है. आपको कभी भी ये नहीं भूलना चाहिए कि अगर आप एक बार वक्फ डिक्लेयर कर देते हैं तो उसका स्टेटस नहीं बदल सकते. वंस अ वक्फ, ऑलवेज अ वक्फ’.

    किरेन रिजिजू बोले- सीएए पर जिन्होंने कहा था कि इसके पारित होने के बाद मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगा. किसी की नागरिकता छिनी. ये बिल आज पारित हो जाएगा और इससे किसी एक मुसलमान का नुकसान नहीं होने वाला, करोड़ों मुसलमानों का फायदा होने वाला है. वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए.

    राज्यसभा नेता विपक्ष खड़गे ने क्या कहा?
    राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वक्फ बिल पर कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों को तंग करने के उद्देश्य से लाया गया है. उन्होंने कहा कि 1995 के एक्ट में जो मौलिक तत्व थे, उन्हें शामिल किया गया है, लेकिन कई ऐसी बातें भी जोड़ी गई हैं जो नहीं होनी चाहिए थी. खड़गे ने इस बिल की कई खामियों की ओर इशारा किया और इसे अल्पसंख्यकों के हित में नुकसानदायक बताया.

    उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट आवंटन और खर्च का हवाला देते हुए कहा कि बजट को 4000 करोड़ से घटाकर 2800 करोड़ कर दिया गया है. साथ ही, सरकार पर यह भी आलोचना की कि वे आवंटित बजट का भी सही तरीके से उपयोग नहीं कर रहे हैं. खड़गे ने यह भी कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय की पांच महत्वपूर्ण योजनाओं को बंद कर दिया है और उसके बावजूद पसमांदा और महिलाओं के विषय में बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं.

    वक्फ बिल पर विपक्ष की एकजुटता
    विपक्ष संसद में अदाणी के मुद्दे पर बंटे, हरियाणा के चुनाव में सीट बंटवारे पर बंटे, दिल्ली के चुनाव में बंटकर चुनाव लड़ा, हरियाणा-महाराष्ट्र-दिल्ली में हार के बाद कांग्रेस के नेतृत्व पर साथियों का सवाल उठाया. इंडिया गठबंधन के भीतर अगुवाई तक की लड़ाई आई. लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद से बंटा हुआ विपक्ष अचानक संसद में वक्फ संशोधन बिल पर एक हो गया.

    जहां कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जो आपस में तलवार चलाते हैं, वक्फ संशोधन बिल पर एक हो गए. दो महीने पहले एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस-आम आदमी पार्टी वक्फ पर एक होकर बिल का विरोध किया.

    कांग्रेस के अहंकार की वजह से विपक्ष की कमजोरी की बात तक समाजवादी पार्टी के नेता हाल में कहने लगे थे. लेकिन संसद में वक्फ बिल ने वो खटास भी दूर कर दी. सब एक सुर में बोलने लगे.

    नतीजा ये रहा कि पहले जब लोकसभा में वोटिंग हुई तो 520 सांसदों ने भाग लिया. 288 ने पक्ष में और 232 ने विपक्ष में वोट डाले. इसी तरह राज्यसभा में भी ना सत्ता पक्ष के सांसद हिले और ना विपक्षी दलों में कोई बंटी हुई राय आई.

    विपक्ष की एकता इतनी क्यों हुई?
    2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों ने भारतीय राजनीति में नए समीकरणों को उजागर किया है. इस बार, एनडीए को केवल 8% मुस्लिम वोट प्राप्त हुए, जबकि विपक्षी गठबंधन, जिसे INDIA गठबंधन के नाम से जाना जाता है, को 65% मुस्लिम वोट का समर्थन मिला.

    भारत में कुल 88 मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटें हैं, यानी वे सीटें जहां मुस्लिम जनसंख्या 20% से ज्यादा है. 2024 के इस चुनाव में, एनडीए ने 38 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसमें से 30 सीटें बीजेपी ने जीतीं. दूसरी ओर, INDIA गठबंधन ने 46 सीटों पर जीत प्राप्त की, जिनमें से 16 सीटें कांग्रेस के खाते में गईं. बाकि 4 सीटें अन्य दलों ने जीतीं.

    खास बात यह है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर भी विरोधी दलों को एनडीए की तुलना में अधिक सफलता मिली है. इस परिणाम से साफ होता है कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा विपक्ष के समर्थन में खड़ा हुआ है.

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