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    लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी नहीं होगा बीजेपी का कोई मुस्लिम चेहरा

  • May 31, 2022


    नई दिल्ली: देश के अलग-अलग राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने अपने कोटे की 22 राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, पर किसी भी मुस्लिम को प्रत्याशी नहीं बनाया है. वहीं, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से लेकर एमजे अकबर और सैय्यद जफर इस्लाम का कार्यकाल का अगले महीने की शुरुआत में खत्म हो रहा है. ऐसे में तीनों ही मुस्लिम नेताओं में से किसी को बीजेपी ने रिपीट नहीं किया, जिसके चलते लोकसभा की तरह अब राज्यसभा में भी बीजेपी का कोई भी मुस्लिम चेहरा नजर नहीं आएगा.

    मौजूदा समय में लोकसभा में बीजेपी से तो कोई मुस्लिम सांसद नहीं है, लेकिन राज्यसभा में पार्टी से तीन मुस्लिम चेहरे एक साथ थे. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, पूर्व मंत्री एमजे अकबर और सैय्यद जफर इस्लाम. इनमें अकबर का कार्यकाल 29 जून 2022 को पूरा हो रहा है तो नकवी का 7 जुलाई को खत्म होगा जबकि सैय्यद जफर इस्लाम का कार्यकाल 4 जुलाई 2022 को समाप्त होगा. जफर इस्लाम यूपी से दो साल पहले उपचुनाव में चुनकर आए थे. एमजे अकबर मध्य प्रदेश और मुख्तार अब्बास नकवी झारखंड से राज्यसभा पहुंचे थे.

    बीजेपी के तीनों ही मुस्लिम राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल जुलाई के पहले सप्ताह में खत्म हो जाएगा, जिसके चलते उनकी सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. बीजेपी ने तीनों में से किसी भी मुस्लिम को राज्यसभा के लिए कैंडिडेट नहीं बनाया है. ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत मुख्तार अब्बास नकवी के साथ खड़ी हो गई है. अगर नकवी दोबारा से संसद नहीं पहुंचे तो छह महीने के अंदर उनके मंत्री पद की कुर्सी चली जाएगी. ऐसे में सियासी कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी उन्हें रामपुर संसदीय सीट से उपचुनाव में उतार सकती है.

    लोकसभा में पार्टी का कोई मुस्लिम सदस्य नहीं
    बता दें कि लोकसभा में बीजेपी का पहले से ही कोई मुस्लिम सांसद नहीं है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छह मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से कोई भी मुस्लिम जीत नहीं सका था. मौजूदा समय में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए से महज एक मुस्लिम सांसद है. बिहार के खगड़िया से महबूब अली कैसर एलजेपी के टिकट पर जीतकर संसद बने थे, पर जेडीयू के टिकट पर लड़ने वाला कोई मुस्लिम सांसद नहीं बन सका था.


    राज्यसभा में बीजेपी का कोई चेहरा नहीं
    बीजेपी के तीनों राज्यसभा सदस्यों के अलावा उच्च सदन में एनडीए से कोई मुस्लिम सांसद नहीं है. नकवी, अकबर, इस्लाम में किसी को राज्यसभा के लिए बीजेपी ने अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है. ऐसे में बीजेपी की सियासत से मुस्लिम सांसद आउट होते नजर आ रहे हैं जबकि एक समय बीजेपी की राजनीति में सात मुस्लिम चेहरे रहे हैं, जो लोकसभा और राज्यसभा में रह चुके हैं.

    हालांकि, राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत होने वाली सात सीटें खाली हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी क्या किसी प्रबुद्ध मुस्लिम को राष्ट्रपति के मनोनयन के रास्ते राज्यसभा लाएगी या फिर नंबवर में खाली होने वाली राज्यसभा सीटों से किसी मुस्लिम चेहरो को भेजेगी.

    जनसंघ से बीजेपी तक ये रहे मुस्लिम चेहरे
    बता दें कि जनसंघ से लेकर अब तक बीजेपी की मुस्लिम सियासत में सात मुस्लिम चेहरे रहे हैं, जो राज्यसभा या लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं. सिंकदर बख्त से लेकर आरिफ बेग, मुख्तार अब्बास नकवी और सैय्यद जफर इस्लाम तक. मुख्तार अब्बास नकवी एक बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा रहे. शाहनवाज हुसैन तीन बार लोकसभा और अब बिहार में एमएलसी हैं. सिकंदर बख्त जनसंघ के दौर से बीजेपी के साथ जुड़े हुए थे और लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक में रहे. ऐसे ही आरिफ बेग लोकसभा में रहे तो नजमा हेपतुल्ला बीजेपी के टिकट पर दो बार राज्यसभा सदस्य रहीं. एमजे अकबर भी बीजेपी से राज्यसभा सदस्य रहे.

    बीजेपी के मुस्लिम चेहरे कितने रहे प्रभावी
    बीजेपी में मुस्लिम चेहरे अटल से लेकर मोदी तक की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन अपना प्रभावी राजनीतिक असर नहीं छोड़ पाए. नकवी जरूर पहली बार लोकसभा जीतकर 1998 में सूचना प्रसारण मंत्री बने, लेकिन उसके बाद से अल्पसंख्यक मंत्री तक सीमित रहे. वहीं, शाहनवाज हुसैन राष्ट्रीय राजनीति से अब बिहार की सियासत में चले गए हैं. इस समय वो बिहार में जेडीयू-बीजेपी की साझा सरकार में उद्योग मंत्री हैं. हालांकि, नकवी की तरह शाहनवाज हुसैन को अटल सरकार में महत्व मिला, लेकिन मोदी राज में हाशिए पर रहे.

    एमजे अकबर को राज्यसभा सदस्य बनाकर विदेश राज्यमंत्री का कार्यभार दिया गया था. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अकबर का सियासी प्रभाव था, लेकिन मी-टू में नाम आने के बाद उनके मंत्री पद की कुर्सी भी गई और सियासी तौर पर साइडलाइन भी कर दिए गए. नजमा हेपतुल्ला को 2014 में अल्पसंख्यक मामलों का कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें राज्यपाल बना दिया गया.

    वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में बीजेपी के अंदर मुस्लिम नेता प्रभावी थे. सिंकदर बख्त दो बार लोकसभा और तीन बार बीजेपी से राज्यसभा सदस्य रहे. 1996 में अटल सरकार में सिकन्दर बख्त को शहरी विकास मंत्री का दायित्व दिया तो उससे वह सन्तुष्ट नहीं हुए. ऐसे में उन्हें विदेश मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया, लेकिन सरकार तेरह दिन ही चल सकी थी. सिकन्दर बख्त ने राज्यसभा में विपक्षी दल के नेता की कमान दोबार संभाली और 1998 में वाजपेयी सरकार में उद्योग मंत्री रहे. ऐसे ही आरिफ बेग से लेकर मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन तक सियासी तौर पर काफी हावी रहे, लेकिन धीरे-धीरे साइडलाइन होते चले गए.

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