इंदौर। कोविड के बाद जहां कई तरह की समस्याएं लोगों को आ रही है, वहीं मानसिक रोगियों की संख्या में भी चार गुना तक इजाफा हुआ है। आत्महत्या के प्रकरण भी बढ़ गए हैं। आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है और उससे जुड़े चिकित्सकों, विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों से लेकर बड़ों तक पर इसका असर हुआ है और इंदौर में ही 250 गुना से अधिक मानसिक रोगियों के प्रकरण बढ़ गए हैं। सरकारी अस्पतालों के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं।
निजी से लेकर सरकारी मानसिक चिकित्सकों के पास रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इंदौर में ही मानसिक चिकित्सालय में साढ़े 3 हजार से अधिक रोगियों का इलाज अभी चल रहा है, जबकि उसके पहले 2020 में इनकी संख्या एक हजार भी नहीं थी। इसका कारण कोरोना का दुष्प्रभाव बताया जा रहा है। जिन लोगों को कोरोना हुआ या उन्हें गंभीर रूप से वायरस की चपेट में आकर बीमार होकर अस्पतालों में भर्ती होना पड़ा और कई तो आईसीयू में रहे, जिन्हें ऑक्सीजन देना पड़ा। ऐसे कई लोगों में सिर दर्द, चिड़चिड़ाहट, भूल जाना, अवसाद या ऐसे ही अन्य लक्षण बढ़ गए हैं। इनमें कम उम्र से लेकर अधिक उम्र के लोग शामिल हैं।
चूंकि कोविड में कई तरह की दवाइयां, रेमडेसिविर इंजेक्शनों से लेकर नए प्रयोग भी किए गए, उसके कारण भी शरीर पर विपरित असर पड़ा है। मानसिक चिकित्सकों का कहना है कि रोगियों की संख्या में बीते सालभर में ही काफी इजाफा हो गया है। इतना ही नहीं, आत्महत्या करने वालों की संख्या भी बढ़ी है। कई लोग तो कोविड के कारण आर्थिक संकट में भी आ गए। अभी पिछले दिनों ही इंदौर में एक पूरे परिवार ने आत्महत्या कर ली थी। इस तरह के देशभर में कई मामले कोरोना काल के बाद सामने आ भी चुके हैं।
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