नई दिल्ली: हर घर में रोटी पकाने के लिए तकरीबन रोजाना आटा गूंथा जाता है. महिलाएं रोटी, पराठे, पूरियां बनाने से कुछ देर पहले ही आटा गूंथकर रख देती हैं. ताकि आटा अच्छी तरह सेट हो जाए.
भले ही अपनी रेसिपी के मुताबिक महिलाएं आटे में अलग-अलग सामग्रियां मिलाएं लेकिन उनके गुंथे हुए आटे में एक बात कॉमन होती है और वो है आटा गूंथने के बाद उस पर अपनी उंगलियों से निशान बनाना. क्या कभी सोचा है कि महिलाओं के ऐसा करने के पीछे क्या वजह है?
आटे का है पिंडदान से संबंध
वेदस्पति आचार्य आलोक अवस्थी के मुताबिक ऐसा करने के पीछे एक खास वजह है, जो कि पिंडदान से जुड़ी हुई है. हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्माओं की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है. पिंडदान करने से पूर्वजों को स्वर्ग मिलता है.
आटे या चावल से बने पिंड का संबंध चंद्रमा से माना जाता है और मान्यता है कि चंद्रमा के जरिए ही पिंड पितरों तक पहुंचता है. इसलिए पिंडदान करते समय आटे या चावल का गोला बनाया जाता है. माना जाता है कि जब इस तरह से पिंडदान किया जाता है तो पूर्वज किसी न किसी रूप में आकर उसे ग्रहण कर लेते हैं.
इसलिए बनाते हैं उंगलियों के निशान
आटे के गोले को पूर्वजों का भोजन माना गया है इसलिए उसे यदि हम ग्रहण करेंगे तो हमें पाप लगेगा. इसी पाप से बचने के लिए महिलाएं आटा गूंथने के बाद उसका गोला बनाते समय उस पर अपनी उंगलियों से निशान जरूर बना देती हैं, ताकि वह भोजन हमारे खाने योग्य रहे.
यही नहीं आटे के अन्य पकवान जैसे बाटी, बाफले, बालूशाही आदि के लिए आटे का गोला या लोई बनाते समय भी महिलाएं उसमें उंगली से एक छोटा सा गड्ढा बना देती हैं. ताकि वह पिंडदान के आटे के गोले की तरह न रहे.
वहीं मनोविज्ञान की नजर से देखें तो व्यक्ति को हर काम करने के बाद उस पर अपनी छाप छोड़ने की आदत होती है, फिर चाहे वह काम करने के बाद उस पर किए गए अपने हस्ताक्षर करना हों या किसी अन्य तरीके से अपनी मौजूदगी दर्शाना हो. आटे पर उंगलियों के निशान बनाने को भी इसका ही एक तरीका माना जा सकता है.
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