इंदौर। युगपुरुषधाम आश्रम और चितावद स्थित फिजिकल अकादमी के बोरिंग के पानी में इंफेक्शन पाए जाने के बाद और तीन संस्थाओं के बोरिंग के पानी में इंफेक्शन मिला है, जिन्हें सील करने की कार्रवाई प्रशासन द्वारा करवाई जा चुकी है। अब प्रशासन पानी सप्लाई करने वाले वाटर प्यूरिफायर संस्थानों पर भी दबिश देने की तैयारी कर रहा है। पूरे शहर के ऑफिसों, दुकानों, घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में पानी के केन सप्लाई किए जा रहे हैं, जिसमें घोर लापरवाही की जा रही है। 300 से ज्यादा स्थानों पर पानी के सैंपल लेने के बाद अब रिपोर्ट आना शुरू हो गई है।
शहर के तीन और संस्थानों के पानी के सैंपल में हैजा के बैक्टीरिया की पुष्टि हुई है। इन तीनों स्थानों पर प्रशासन ने बोरिंग बंद करवा दिए हैं। लोगों ने अब प्यूरिफाई वाटर के नाम से पहुंच रहे 15 लीटर के पानी के केन पर सवाल उठाए हैं। प्रशासन ने इनकी भी जांच करने की तैयारी कर ली है। शहर के कोने-कोने में वाटर प्यूरिफायर, आरओ वाटर कहकर नॉर्मल पानी परोसा जा रहा है। बड़ी तादाद में शहर में पानी का व्यवसाय फल-फूल रहा है, लेकिन अब तक प्रशासन आंखें मूंदे बैठा था। अब प्रशासन ने इन पर भी कार्रवाई का मूड बना लिया है। कल कलेक्टर ने एक बार फिर बैठक बुलाकर नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के अधिकारियों की टीम बना दी है और उन्हें सभी बोरिंग की जांच करने के निर्देश दिए हैं।
इनके सैंपल फेल
अपर कलेक्टर सपना लोवंशी ने बताया कि दो सैंपल मल्हारगंज एसडीएम की जांच में और एक जूनी इंदौर एसडीएम क्षेत्र की जांच में सामने आया है। भूमि गल्र्स होस्टल (सांईकृपा कॉलोनी नौलखा), श्री शुद्धि नशामुक्ति केंद्र (श्रीराम नगर, छोटा बांगड़दा) और सागर सामाजिक विकास संस्था (नंदबाग टिगरिया बादशाह) में पानी के सैंपल में हैजा के बैक्टीरिया मिले हैं। वहीं कई संैपल में ई-कोलाई मिला है। शहर के विभिन्न सरकारी व निजी होस्टलों के साथ सरकारी बोरिंग से यह सैंपल इक_ा किए गए थे। अधिक मात्रा में पानी में इंफेक्शन मिल रहा है, जिसे लेकर अब अलग-अलग क्षेत्र में मुहिम चलाकर कार्रवाई की जाएगी। रहवासी बिल्डिंग में संचालित हो रहे बोरिंगों पर भी प्रशासन की नजर रहेगी। अधिकारियों के अनुसार कई बोरिंग में क्लोरीन डालकर पानी को साफ करने की कोशिश भी की जा रही है, लेकिन मुख्य वजह ड्रेनेज के पानी का पीने के पानी के सोर्स में मिलना बताया जा रहा है।
अग्निबाण सवाल…
निगम के गंदे पानी से फैल रही बीमारियों का क्या?
एक आश्रम में बोरिंग का गंदा पानी मिलने से 6 बच्चों की मौत और कई बच्चों के बीमार होने से मचे हडक़ंप के बाद आश्रम के संचालकों पर कार्रवाई की मंशा रखने वाला जिला प्रशासन क्या निगम द्वारा सप्लाय किए जा रहे पानी की जांच की जहमत उठाएगा। आज आधा इंदौर शहर गंदा पानी पीने को मजबूर है। कई इलाके तो ऐसे हैं, जहां पानी में मिट्टी मिली हुई आती है। पूरी तरह पीले और कीड़ों से भरे पानी को पीने के लिए मजबूर जनता प्रदर्शन करती है, लेकिन किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है। यही कारण है कि औद्योगिक और व्यापारिक संस्थानों ने वाटर प्यूरिफायर के नाम पर पानी बेचने वालों की शरण ली। हर संस्थान में पानी बेचने वाले यह लोग लाखों लीटर पानी सप्लाय करते हैं। यह पानी कहां से लाते हैं, किस तरह से उसे शुद्ध बनाते हैं और सप्लाय की कैसी तकनीक अपनाते हैं इसके बारे में कोई नहीं जानता। पर इतना जरूर जानता है कि वह पानी शुद्ध हो या न हो, पर साफ नजर आता है। निगम तो यह भरोसा भी खो चुका है, लेकिन अब इस भरोसे की भी मौत हो गई कि जमीन से निकलने वाला पानी शुद्ध होगा। उसका कारण यह है कि जमीन का वाटर लेवल भी कम हो चुका है और हम तलहटी से पानी निकालने के लिए मजबूर हैं। इसी कारण शुद्ध पानी की प्रामाणिकता तो शून्य हो चुकी है। यह और बात है कि आश्रम के बच्चे मासूम थे और वे गंदे पानी को पचा नहीं पाए, वरना यह शहर तो गंदा पानी पीकर ही बड़ा हो रहा है।
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