नई दिल्ली । भारत (India) को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी. हर साल 15 अगस्त को देशभर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. दशकों के संघर्ष के और बलिदान के बाद 1947 में दमनकारी अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली था. आजादी के साथ दो स्वतंत्र राष्ट्र बने. एक भारत (India) और दूसरा पाकिस्तान (Pakistan). लेकिन कभी आपने सोचा है कि विभाजन के तुरंत बाद दोनों देशों में कैसे काम किया. भारत के पास तो संसाधन थे भी लेकिन पाकिस्तान में कैसे काम हो पाया. खासकर वहां के सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम (central banking system) का काम कैसे हुआ?
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत से अलग होने के बाद भी पाकिस्तान में सालभर तक भारतीय करेंसी का इस्तेमाल हुआ. हालांकि पाकिस्तान में इस्तेमाल होने वाले नोट पर पाकिस्तानी सरकार की मुहर लगाई जाती थी.
1948 तक पाकिस्तान के लिए नोट छापता था भारत
हमारी सहयोगी वेबसाइट डीएनए के मुताबिक, आजादी के एक साल बाद तक यानी साल 1948 तक पाकिस्तान में भारतीय रिजर्व बैंक के नोट ही चलते थे. इन नोटों और सिक्कों पर ‘Government of Pakistan’ का स्टैम्प होता था. पाकिस्तानी सरकार की मुहर की वजह से इन नोटों का इस्तेमाल केवल पाकिस्तान में ही हो सकता था. लेकिन अप्रैल 1948 से पाकिस्तानी नोट छपने का काम शुरू हो गया. शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के लिए प्रोविजनल नोट छापना शुरू किया, जिनका इस्तेमाल केवल पाकिस्तान में ही हो सके.
इंटाग्लियो प्रोसेस के तहत छपे थे नोट
रिजर्व बैंक ने इन नोटों के ऊपर Government of Pakistan और उर्दू में ‘हुकूमत-ए-पाकिस्तान’ लिखा जाता था. हालांकि पाकिस्तान में इन नोटों पर भारतीय अधिकारियों के हस्ताक्षर होते थे. ये नोट 1 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के थे. 15 जनवरी 1952 में इन नोटों को बंद कर दिया गया. इस बीच पाकिस्तानी सरकार ने इंटाग्लियो प्रोसेस के तहत 5 रुपये, 10 रुपये और 100 रुपये के नोटों को छापा. इस प्रोसेस को लंदन की थॉमस डी ला रूई एंड कंपनी ने तैयार किया था. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने सबसे पहले 2 रुपये के नोट छापे थे.
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