इंदौर। श्यामा (परिवर्तित नाम) के पति और एक बेटे ने आत्महत्या कर ली और दूसरे बेटे ने भी साथ नहीं दिया। वही रामकिशोरी (परिवर्तित नाम) को उसके पति ने किसी अन्य महिला के लिए छोड़ दिया। दो छोटे बच्चों के साथ घर की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं पर आन पड़ी। ऐसी ही कई महिलाएं अब ज्वाला के साथ जुडक़र शहर के प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों के लिए खिचड़ी बनाकर उन्हें उपलब्ध करवाने का कार्य कर रही है। अब सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर प्राइवेट अस्पतालों में भी कम कीमत का भोजन मिल रहा है।
एम.वाय. अस्पताल के बाहर परिजनों के लिए शहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा कम कीमत का भोजन मुहैया कराया जा रहा है, उसी तर्ज पर अब शहर की महिलाओं की संस्था प्राइवेट अस्पतालो में भर्ती मरीजों को भी पांच रुपए में भरपेट भोजन कराएगी। ज्वाला की संस्थापक डॉ दिव्या गुप्ता कहती है कि चूंकि एमवाय में इस तरह की सेवाएं कई संस्थाएं दे रही है पर शहर के अन्य अस्पतालों में भी दूर-दराज़ के गांवों से आकर मरीज इलाज करवाते हैं। मरीज को तो भोजन अस्पताल की ओर से मिल जाता है पर परिजन के भोजन की कोई उचित व्यवस्था नहीं होती है। कैंटीन से हर रोज भोजन लेना भी काफी महंगा होता है, जो सभी के लिए संभव नहीं। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमने इस पहल को शुरू किया है।
मां की खिचड़ी मरीजों के साथ डाक्टरों को भी पसंद
मयंक हॉस्पिटल, गीता भवन, सीएचएल, गोकुलदास, डीएनएस और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में करीब 350 टिफिन भेजे जा रहे हैं। इस टिफिन में खिचड़ी होती है और इसे सेहतमंद बनाने के लिए हम इसमें हर दिन अलग-अलग सब्जियां डालते हैं। जिसे मां की खिचड़ी नाम दिया गया है। एक टिफिन की लागत हमें 25 रुपये पड़ती है, जिसे हम 5 रुपये में देते हैं, ताकि किसी के स्वाभिमान को ठेस ना पहुंचे। यह खिचड़ी शुद्ध घी में तैयार की जाती है और उपवास के दिन फलाहारी खिचड़ी भी बनती है। इन अस्पतालों के बाहर लग रहे इन स्टाल्स से भोजन का मरीजों के परिजन ही नहीं डाक्टर भी स्वाद ले रहे हैं।
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