नई दिल्ली (New Delhi)। भारत ने जी-20 (G-20) के सफल आयोजन के साथ ही अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में स्थायी सदस्यता की मांग उठा दी है।
बता दें कि भारत में जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन हुआ. दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम (Bharat Mandapam) में 9 और 10 सितंबर को हुए इस समिट में दुनियाभर के दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया. इसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन भी शामिल थे. G20 समिट का भव्य तरीके से आयोजन कर भारत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि आने वाला वक्त हमारा है। यही वजह है कि इस समिट के बाद भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता देने की मांग उठने लगी है।
जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंपने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘वन फ्यूचर’ सेशन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि 80 साल के इतिहास में संयुक्त राष्ट्र काफी बदल गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से अब तक उसके सदस्यों में 4 गुना तक का इजाफा हो गया है। पीएम मोदी ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की संख्या अब तक बदली नहीं है। लेकिन दुनिया हर मायने में पूरी तरह से बदल चुकी है।’
US और फ्रांस पहले ही कर चुके हैं भारत का समर्थन
इस बीच भारत की मांग को दुनिया के कई देश समर्थन दे रहे हैं। अमेरिका और फ्रांस जैसे देश कई बार दोहरा चुके हैं कि हम चाहते हैं कि भारत को सुरक्षा परिष्द का स्थायी सदस्य बनाया जाए। अब ऐसी ही मांग तुर्किए ने की है, जो अब तक पाकिस्तान समर्थक रुख के लिए जाना जाता था। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि अगर भारत जैसा देश सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनता है तो हमें गर्व होगा। उनका बयान इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि कई बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर वह कश्मीर का मुद्दा उठा चुके हैं। इस पर भारत ने ऐतराज भी जताया था और रिश्ते बिगड़ गए थे।
एर्दोगन बोले- दुनिया P-5 से कहीं ज्यादा बड़ी है
एर्दोगन ने भी पीएम मोदी की बात का समर्थन करते हुए कहा कि दुनिया पी-5 से कहीं ज्यादा बड़ी है। पी-5 का अर्थ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के परमानेंट सदस्यों से होता है। उन्होंने कहा कि दुनिया का अर्थ सिर्फ अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन से ही नहीं है। हम इन पांच ही देशों को सुरक्षा परिषद में नहीं देखना चाहते। बता दें कि सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों को वीटो पावर मिली है। यदि इनमें से कोई एक मेंबर भी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करता है तो फिर प्रस्ताव पारित होना मुश्किल होता है। सुरक्षा परिषद में एक वक्त में 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। इस तरह कुल 15 मेंबर्स के साथ इस संस्था का संचालन होता है।
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