नई दिल्ली। दुनिया में कई ऐसी प्रजाति हैं, जिसके बारे में हम आम दुनिया के लोग बेहद अनजान हैं. ना सिर्फ उन्हें, बल्कि उनके रीति-रिवाज, परंपराएं और संस्कृति के बारे में भी हमें नहीं मालूम होता. उनके मान्यताओं के बारे में जानने के बाद कोई भरोसा भी नहीं कर पाएगा कि आखिर यह प्रजाति ऐसा क्यों करती है.
साउथ अमेरिका (South america) के ब्राजील(Brazil) और वेनेजुएला(Venezuela) में यानोमामी जनजाति (Yanomami Tribes) जोकि यनम या सीनेमा के नाम से जाने जाते हैं. यह जनजाति आजकल के आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण (Modernization and westernization) से प्रभावित नहीं होते, बल्कि यह अपनी संस्कृति व परंपराओं का अनुपालन करते हैं. यही वजह है कि यह जनजाति(Tribe) अपने ही तरीके से रहना पसंद करते है.
इस जनजाति में अंतिम संस्कार करने का तरीका बड़ा ही अजीबोगरीब है. एंडो-केनिबलवाद (Endocannibalism) कहे जाने वाली इस परंपरा के अंतर्गत यह जनजाति अपनी ही जनजाति के मृतकों के मांस खाने की अनोखी प्रथा हैं.
अमेजन वर्षावन में रहने वाले यानोमामी जनजाति (Yanomami) का मानना है कि मौत के बाद शरीर के आत्मा को संरक्षित रखने की जरूरत होती है. उनका मानना है कि आत्मा को तभी शांति मिल सकती है, जब उसकी लाश पूरी तरह से जल जाए और उनके लाश को जीवित रिश्तेदारों द्वारा खाया जाए. मृतकों के पारंपरिक दफन प्रक्रिया के उलट, यह जनजाति शव को जलाते हैं और जले हुए शरीर पर मुस्कान के साथ उनके चेहरे को पेंट कर देते हैं. इतना ही नहीं, ये गाना गाते हैं और रिश्तेदार की मौत पर रोते हुए अपने दुख को प्रगट करते हैं.
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