नई दिल्ली (New Delhi)। हर साल सात अप्रैल को पूरी दुनिया में वर्ल्ड हेल्थ डे (World Health Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया (World) भर के लोगों को स्वास्थ्य और मेडिकल क्षेत्र में हो रही नई-नई प्रगति के प्रति जागरूक करना है. इस साल वर्ल्ड हेल्थ डे ‘Health for All’ थीम पर मनाया जा रहा है. भारत में पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना के मामले तेजी बढ़ रहे हैं हालांकि अब इस वायरस को उतना खतरनाक नहीं माना जाता जैसे पहले माना जाता था लेकिन कोरोना से उबर चुके लोगों में देखे गए लॉन्ग कोविड सिम्पटम्स और कई बीमारियां (covid symptoms and many diseases) नई चुनौती के रूप में सामने आई हैं.
लोगों के स्वास्थ्य पर लंबे समय तक कोरोना (Corona) से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर कह पाना मुश्किल है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पिछले तीन सालों में इस महामारी ने ना केवल लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य (mental health) को भी प्रभावित किया है.
कई रिसर्च में वायरस से हृदय, फेफड़े, गुर्दे और शरीर के अन्य अंगों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी जिक्र किया गया है. यह महामारी कई मौजूदा बीमारियों के निदान और इलाज में रुकावट भी बनी है. गतिहीन जीवनशैली कोविड-19 महामारी के एक और दुष्प्रभाव के रूप में हमारे सामने आई जिसके लोग आदी हो गए हैं. कई लोग अभी भी इसके प्रभाव से जूझ रहे हैं जो कई और दुष्प्रभावों को दावत देता है.
क्या होती हैं क्रॉनिक डिसीस?
क्रॉनिक डिसीस का मतलब ऐसी बीमारियां जो कम से कम एक साल या उससे अधिक समय तक रहती हैं और जिनके लिए लगातार इलाज की जरूरत होती है. डायबिटीज, कैंसर, हृदय रोग और किडनी डिसीस जैसी क्रॉनिक बीमारियां पूरी दुनिया में लोगों की मौतों का प्रमुख कारण हैं. विश्व स्वास्थ्य दिवस पर यहां हम आपको उन क्रॉनिक बीमारियों के बारे बताएंगे जो महामारी के बाद बढ़ रही हैं.
दिल्ली के शालीमार बाग स्थित फॉर्टिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट पवन कुमार गोयल ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, ”अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो महामारी के बाद ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज जैसी खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. कोई सोच सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है. महामारी के दौर में लोग घर बैठे योग, प्राणायाम और व्यायाम कर रहे थे. सड़कों पर ना के बराबर ट्रैफिक था. अब सड़कें भर चुकी हैं और ट्रैफिक जाम की वजह से भी लोग एक-दूसरे को कोस रहे हैं. व्यवसाय फल-फूल रहे हैं लेकिन लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है जो लोगों को हाई ब्लड प्रेशर का शिकार भी बना रही है. लोगों के पास व्यायाम या योग के लिए समय नहीं है और तनाव कम करने के लिए अनहेल्दी भोजन, धूम्रपान और शराब पी रहे हैं. कम शब्दों में कहें तो लाइफस्टाइल से जुड़े रोगों को पनपने के लिए एक बेहतरीन वातावरण मिला है.”
हेल्थकेयर कंपनी लाइब्रेट के जनरल फिजिशियन ने पार्थ प्रजापति ने कहा, ”कोरोना ना केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है बल्कि किडनी, हृदय और दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है. इससे कई मानसिक परेशानियां होती हैं. हार्ट अटैक, पैरालिसिस, किडनी की बीमारी कोरोना का दुष्प्रभाव हो सकती हैं. कोरोना की बीमारी हर उम्र के लोगों को होती है लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बुजुर्गों पर पड़ता है. महामारी ने क्रॉनिक डिसीस के निदान, उपचार और निगरानी की क्षमता में रुकावट पैदा की है जिसकी वजह से इन बीमारियों से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है.”
1. मानसिक बीमारियां
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर राजीव गुप्ता कहते हैं, ”चिंता, अवसाद, याददाश्त और कॉन्सनट्रेशन से जुड़ी समस्याएं कोरोना के बाद कॉमन हुईं हैं जिससे क्वॉलिटी ऑफ लाइफ खराब हुई है. तनाव, अलग-थलग रहना, कोरोना में करीबियों को खो देना और आर्थिक संकट ने इन बीमारियों को बढ़ाने का काम किया है.”
एक्सपर्ट के अनुसार ”कोरोना से मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखा गया है. चिंता, अवसाद जैसी कई मानसिक समस्याएं बढ़ी हैं. ये कंडीशन्स क्वॉलिटी ऑफ लाइफ को प्रभावित करती हैं.”
2.कैंसर
डॉक्टर ने बताया, ”कोविड-19 कई प्रोटीनों को लक्षित करता है इसलिए संक्रमण से कई तरह के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है. एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि कैसे कोविड-19 वायरस पी53 (ट्यूमर को बनने से रोकना वाला जीन) और इससे संबंधित मार्गों के साथ इंटरैक्ट करता है जिससे कैंसर जैसी बीमारी को बढ़ने से रोकने की क्षमता कमजोर होती है.”
3. सांस से जुड़ीं बीमारियां
कोरोना लंबे समय तक लगातार खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न जैसी परेशानियों की भी वजह है. ये कंडीशन्स अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी पहले से मौजूद सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए परेशानी बन सकती हैं. कोविड-19 मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है और जो लोग वायरस से उबर चुके हैं, वे लंबे समय तक खांसी, सांस की तकलीफ और थकान जैसी रिस्पायरेटरी डिसीस का अनुभव कर सकते हैं. इसके अलावा घर के अंदर के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से भी सांस की बीमारी होने का खतरा भी बढ़ सकता है
4. ब्लड प्रेशर
डॉ. ने बताया, ”कई रिसर्च में सामने आए सबूत बताते हैं कि लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या महामारी के स्तर तक पहुंच चुकी है. जर्नल सर्कुलेशन में छपे एक अध्ययन के अनुसार, कोविड महामारी के बाद सभी आयु वर्ग के लोगों के बीच में हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी तेजी से बढ़ी है जो चिंताजनक है.”
5. हृदय रोग
डॉ. कहते हैं, ”कोविड-19 के बाद दिल से जुड़ी परेशानियां जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, इररेगुलर हार्टबीट, हार्ट फेल्योर और ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ सकता है.”
6. डायबिटीज
डॉ. कहते हैं, “कोविड-19 के कई सर्ववाइवर्स में डायबिटीज समेत कई बीमारियां होने का खतरा ज्यादा होता है.”
बढ़ रहे हैं डायबिटीज के मरीज
7. अस्थमा (दमा)
कोरोना से पीड़ित लोगों में ऑक्सीजन का ब्लड फ्लो के साथ तालमेल अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है. यह स्थिति तब और खराब हो जाती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम का सामना किसी वायरस से होता है. नतीजतन वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं. इस दौरान बनने वाले बलगम से खांसी, सीने में दर्द, गला खराब होने जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं.
8.क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)
COPD से पीड़ित लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में कोरोना 19 की वजह से होने वाली सांस और फेफड़ों की परेशानियां होने का रिस्क ज्यादा होता है. सीओपीडी में आपको निमोनिया होने का भी जोखिम बढ़ जाता है. COPD में आपको कोविड-19 के सामान्य लक्षणों के साथ ही उसके गंभीर लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है जिससे आपको सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
क्रॉनिक डिसीस से कैसे बचें
कई क्रॉनिक डिसीस हमारे लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों से भी जुड़ी हैं. एक हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो कर आप क्रॉनिक डिसीस होने की संभावना को कम कर सकते हैं और अच्छी लाइफ बिता सकते हैं.
हेल्दी डाइट
एक हेल्दी डाइट हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज और कई क्रॉनिक डिसीस के जोखिम को कम करने में मदद करती है और उससे लड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एक संतुलित, स्वस्थ भोजन का मतलब अलग-अलग फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद वाली डाइट है जो शरीर से एक्स्ट्रा शुगर, फैट और सोडियम से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती है.
नियमित तौर पर व्यायाम
नियमित तौर पर शारीरिक गतिविधि आपके क्रॉनिक डिसीस के रिस्क को कम करने और उनसे लड़ने में मदद कर सकती है. हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की मीडियम इंटेसिटी वाली एक्सरसाइज को अपने रूटीन का हिस्सा जरूर बनाएं. इसके साथ ही हफ्ते में दो दिन मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज जरूर करें.
शराब और धूम्रपान से दूर रहें
अत्यधिक शराब पीने की आदत समय के साथ आपको ब्लड प्रेशर, कई तरह के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और लिवर डिसीस का शिकार बना सकती है. इसे छोड़ने या सीमित कर देने से आप इन बीमारियों से बच सकते हैं.
स्क्रीनिंग (चेकअप) जरूरी
क्रॉनिक डिसीस से बचने और उनका जल्दी पता लगाने के लिए नियमित तौर पर डॉक्टर और डेंटिस्ट के पास जाएं और अपना चेकअप कराएं.
बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री को इग्नोर ना करें
अगर आपके परिवार का कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज या ऑस्टियोपोरोसिस जैसी क्रॉनिक डिसीस का इतिहास रहा है तो आपको वो बीमारी होना का खतरा अधिक हो सकता है. अपनी फैमिली हिस्ट्री डॉक्टर के साथ शेयर करें जो इन बीमारियों को रोकने या उन्हें जल्दी डायग्नॉस करने में आपकी मदद करेंगे.
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के आधार पर पेश की गई है, हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते हैं.
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