नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस (corona virus) ने हड़कंप मचाया था. करोड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी. ऐसे में जैसे ही किसी नए वायरस का नाम सामने आता है तो लोगों के होश उड़ जाते हैं. ताजा मामला मारबर्ग (marburg) वायरस का है.
दुनिया भर के ज्यादातर देश कोरोना (corona) का कहर देख चुके हैं. कोरोना के कारण कई देशों को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा और करोड़ों लोगों को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी. इससे दुनिया के कई देशों में आर्थिक नुकसान (economic loss) का सामना करना पड़ा. जिंदगियां पटरी पर लौटने में लंबा वक्त लग गया. ऐसे में घाना में मारबर्ग वायरस के दो मामले सामने आने के बाद चिंता बढ़ गई है.
स्काई न्यूज के मुताबिक घाना में पिछले महीने 2 लोगों की मौत हो गई थी. उनकी जांच रिपोर्ट अब सामने आई है और वे पॉजिटिव पाए गए हैं. उनमें एक की उम्र 26 साल और दूसरे की उम्र 51 साल बताया गया है. प्रशासन ने दोनों के संपर्क में आने वाले लोगों को आइसोलेट (isolate) कर दिया है. हालांकि अबतक उन लोगों में कोई सिम्पटम्स नहीं देखा गया है. यह पहला मौका है जब पश्चिम अफ्रीकी देश घाना में इस वायरस के केस सामने आए हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) भी इसे लेकर अलर्ट हो गया है. डब्लूएचओ अफ्रीका (WHO Africa) के रिजनल डायरेक्टर Dr. Matshidiso Moeti ने कहा, ”हेल्थ अथॉरिटी इसे लेकर अलर्ट हो गई है ताकि अगर वायरस तेजी से फैलता है तो तुरंत कार्रवाई की जा सके. अगर मारबर्ग को लेकर तुरंत सावधानियां नहीं बरतीं गईं तो इस वायरस के तेजी से फैलने पर हालात बेकाबू हो सकते हैं. डब्लूएचओ हेल्थ अथॉरिटी को मदद कर रहा है और हम हालात को नियंत्रण में करने के लिए अधिक से अधिक साधन मुहैया करा रहे हैं.”
मारबर्ग के लक्षण क्या हैं?
अगर कोई व्यक्ति मारबर्ग वायरस से संक्रमित होता है तो उसे बुखार हो सकता है. इसके अलावा तेज सिरदर्द, डायरिया, शरीर में दर्द, उल्टी, मल में खून आना जैसे लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा नाक या अन्य जगहों से भी खून का रिसाव हो सकता है. इसलिए जहां मारबर्ग वायरस का संक्रमण होता है. उन इलाकों में लोगों में ये सिम्पटम्स दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और अपनी जांच करवानी चाहिए.
मारबर्ग का पहला केस कब आया था?
मारबर्ग वायरस का पहला केस 1967 में जर्मनी में सामने आया था. तब जमर्नी के फैंकफर्ट और बेलग्रेड में कुल 31 लोग इसकी चपेट में आए थे. इनमें से 7 लोगों की मौत हो गई थी. उस समय खुलासा हुआ था कि पहला व्यक्ति जो मारबर्ग से संक्रमित हुआ था, उसमें संक्रमण एक अफ्रीकन ग्रीन बंदर के जरिए हुआ था. फिर 2021 सितंबर में इसके मामले अंगोला, कांगो, केन्या, दक्षिण अफ्रीका और युगांडा में देखने को मिला था.
चमगादड़ से मारबर्ग वायरस फैलने की आशंका
जब कोरोना वायरस पहली बार सामने आया तो कहा गया कि इसकी शुरुआत चीन के बुहान से हुई थी. और यह भी कहा जाने लगा कि बुहान का मीट मार्केट ही कोरोना के प्रसार का कारण बना. हालांकि अबतक इस पर कयास लगाए जा रहें हैं, सच्चाई का पता लगना बाकी है. लेकिन अब मारबर्ग के केस सामने आ चुके हैं और यह भी जानवरों के जरिए ही इंसानों में फैलता है और चमगादड़ एक प्रमुख कारण हो सकता है. ऐसे में लोगों से अपील की गई है कि उन गुफाओं में जाने से बचें जहां चमगादड़ रहते हैं.
मारबर्ग से क्यों चिंतित है दुनिया?
मारबर्ग वायरस इबोला जैसा खतरनाक है. इबोला का कहर दुनिया देख चुकी है. इबोला के बाद कोरोना भी कितना खतरनाक साबित हो चुका है, ये हम सभी जानते हैं. ऐसे में सबसे चिंता की बात ये है कि अब तक मारबर्ग का ना तो कोई इलाज है और ना ही कोई वैक्सीन बनी है. मारबर्ग वायरस के पीड़ितों के इलाज के लिए दवा और इम्यूनिटी थेरेपी डेवलप किया जा रहा है. इसलिए मारबर्क से हाल ही में घाना में दो मौत के बाद दुनिया भर में चिंता की लकीरें खींच गई हैं.
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